07 January 2008

व्‍यक्तिगत आक्षेप कितने सही ?

आज प्रमेन्‍द्र के महाशक्ति ब्‍लाग पर एक शीना की सलाह में एक टिप्‍पणी पढ़ने को मिली, जो वास्‍तव में व्‍यक्तिगत आक्षेपों से भरी हुई थी। क्‍या पेशे से डक्टर और उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त महिला अगर किसी पर पर व्‍यक्तिगत अक्षेप के साथ-साथ परिवारे के सदस्‍यों को भी जोड़े तो निश्चित रूप से निन्‍दा होनी चाहिऐ। मैने भी उक्‍त लेख पढ़ा था किन्‍तु लेख में ऐसा कुछ भी नही था कि व्‍यक्तिगत आक्षेपमय टिप्‍पणी किया जाना जरूरी होता?

लेखन का अपना महत्‍व है किन्‍तु जिस प्रकार उन्‍होने व्‍यक्तिगत टिप्‍पणी की उसके साथ ही साथ उसे अपने ब्‍लाग पर भी प्रकाशित किया जो सर्वथा निन्‍दीय है। अपनी बात कहना अलग विषय है किन्‍तु किसी पर व्‍यक्तिगत अक्षेप करना नितान्‍त ही गलत मर्यादा है। वैसे यह विषय मित्र प्रमेन्‍द्र जी का है और वही तय करेगें कि शीना जी की सलाह पर क्‍या लिखते है।

लेखन में जरूरी है कि व्‍यक्तिगत अक्षेप न हो, व्‍यकितगत अक्षेपों से तो बात बहुत दूर तक जायेगी।

6 comments:

Ashish Maharishi said...

यह सरासर गलत है, मतभेद अपनी जगह है लेकिन इस तरह की टिपणी एक दम गलत हैं,

संजय बेंगाणी said...

व्यक्तिगत आक्षेप से बचा जाना चाहिए.

Sanjeet Tripathi said...

सहमत, व्यक्तिगत आक्षेप से बचना चाहिए!!

Anonymous said...

वैसे ये भी जांच का विषय है कि विपुल शानो के भेष मे बुरके के पीछॆ क्यो छिपा है और उसकी मंशा क्या है ये सभी ब्लोगरो को पता चलना चाहिये क्य़ो विपुल तुम्ही बतादो ना..? चिट्ठा जगत मे मालिक :)

Anonymous said...

Flight is the admittance of guilt.

Sheena blog to band ho gaya? Mahashakti ji, satya mein itni shakti hoti hai?

Anonymous said...

Flight is the admittance of guilt.

Sheena blog to band ho gaya? Mahashakti ji, satya mein itni shakti hoti hai?