आज से 9 साल पहले कंधार में क्या हुआ था हम सभी को पता है। इन्डियन ऎयरलाइन्स IC-814 जो कि काठमाण्डू-दिल्ली हवाई उड़ान पर था पाकिस्तानी ऎजेण्टों के द्वारा उसका अपहरण कर लिया गया था। उस समय भारतीय जनता पार्टी का सरकार था और अभी के होने बाले प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी जी उस समय गृह मंत्री थे। 9 साल बाद कांधार काण्ड का पिटारा ठिक चूनाव के समय में कांग्रेस और उसके सहयोगीयों के द्वारा खोलना बचाव से अच्छा है आक्रमण करना इससे ज्यादा और कुछ नही है। इस पुरे घटना पर फिर से नजर डालते हैं।
विमान संख्या IC-814 का अपहरण शाम को लगभग 6:00 बजे हुआ था और उस विमान में 189 सवारी थे। विमान के अपहरण के सूचना के ठिक 1:00 घंटे बाद शाम 7:00 बजे प्रधानमंत्री निवास पर तत्काल एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक हुआ, जिसमें हालात का जायजा लिया गया। इधर अपहरण करता विमान में तेल डालने के लिये लगातार विमान में बैठे यात्री को और विमानपतन के अधिकारीयों को धमकाते रहें। भारतीय जनता पार्टी के नेता विमान पर NSG कमाण्डो की कारवाही करना चाहते थे जिसके फल स्वरुप जब विमान अमृतसर हवाई अड्डा पर तेल लेने के लिये उतरा तथा वहाँ पर 45 मिनट खरा रहने के समय NSG अपने कार्यवाही में लगे हुये थे तथा उन्हें और भारतीय राजनेताओं को विमान में बैठे 189 यात्रीयों के बारे में चिन्ता भी था क्यों आतंकी आधुनिक हथियार से लैस थे और NSG कमाण्डों से डरे हुये भी थे वे किसी भी तरह की कार्यवाही पर सबसे पहला निशाना वे विमान के यात्रियों को बनाते और आंतकियों ने वैसा ही किया और रूपेन कत्याल को गोली मार कर हत्या कर दिया गया। अगर उस समय NSG कमाण्डों और किसी भी तरह का कार्यवाही करता और कुछ और यात्री मारे जाते तो आज कांग्रेस के नेता का सुर कुछ दुसरा होता और चिल्ला-चिल्ला कर कहते कि बी.जे.पी. सरकार को हिन्दुस्तान के नागरीकों का चिन्ता नही है। लेकिन यैसा कुछ नही हुआ NSG कमाण्डों का कार्यवाही किसी कारण से नही हो पाया।
लगभग खाली पेट्रोल टैंक सहित हवाई जहाज को लाहौर ले गये। लाहौर में पुनः उन्हें उतरने की अनुमति नहीं दी गई, यहाँ तक कि हवाई पट्टी की लाईटें भी बुझा दी गईं, लेकिन पायलट ने कुशलता और सावधानी से फ़िर भी हवाई जहाज को जबरन लाहौर में उतार दिया। जसवन्त सिंह ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री से बात की कि हवाई जहाज को लाहौर से न उड़ने दिया जाये, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारी जानबूझकर मामले से दूरी बनाना चाहते थे, ताकि बाद में वे इससे सम्बन्ध होने से इन्कार कर सकें। वे यह भी नहीं चाहते थे कि लाहौर में NSG के कमाण्डो कोई ऑपरेशन करें, इसलिये उन्होंने तुरन्त हवाई जहाज में पेट्रोल भर दिया और उसे दुबई रवाना कर दिया। दुबई में भी अधिकारियों ने हवाई जहाज को उतरने नहीं दिया। जसवन्त सिंह लगातार फ़ोन पर बने हुए थे, उन्होंने यूएई के अधिकारियों से बातचीत करके अपहर्ताओं से 13 औरतों और 11 बच्चों को विमान से उतारने के लिये राजी कर लिया। रूपेन कत्याल का शव भी साथ में उतार लिया गया, जबकि उनकी नवविवाहिता पत्नी अन्त तक बन्धक रहीं और उन्हें बाद में ही पता चला कि वे विधवा हो चुकी हैं।
ये सभी घटना 24 दिसम्बर की है आगे 25 दिसम्बर को सुबह सुबह विमान अफगानिस्तान के कंधार नामक जगह में छोटे से हवाई अड्डा पर उतार लिया गया था। 25 दिसम्बर को दोपहर होते होते हजारों की सख्या का भीड़ प्रधानमत्री कार्यालय पर जमा होने लगा तथा वे सभी सरकार के अन्दरुनी हालात से वेखबर या अनभिज्ञा लगातार सरकार विरोधी नारे लगाये जा रहे थे और उनके साथ कुछ नेता किस्म के लोग भी थे जो किसी भी हालत में बी.जे.पी. सरकार की किरकिरी कड़वाना चाहते थे इन्हें ना तो देश से मतलब था और ना ही यहाँ के जनता का वे सिर्फ अपना उल्लू सिधा करना चाहते थे ये वही नेता थे जो बंगारु लक्ष्मण को मिडीया का सहारा लेकर झूठे मामले में फंसवाया ये वही नेता थे जो जार्ज फर्नाडीस को ताबूत चोर कहा ये वही नेता हैं जो दिलीप सिंह जुदेव को फंसाया। और यहाँ भी विमान में फंसे यात्रीयों को बरगला कर नारे लगवाने का काम कर रहा था। इसी बीच मुल्ला उमर और उसके विदेशमंत्री(?) मुत्तवकील से बातचीत शुरु हो चुकी थी और शुरुआत में उन्होंने विभिन्न भारतीय जेलों में बन्द 36 आतंकवादियों को छोड़ने की माँग रखी। जिसे की बी.जे.पी के लैहपुरुष श्री लालकृष्ण आड्वाणी जी ने एक झटके के साथ खारिज कर दिया (हमें इस बात को याद रखना चाहिये) आतंकियों को लौहपुरुष श्री लालकृष्ण आडवानी के इस दिलेरी की उम्मीद नही था। आतंकि इस बात पर थोडे़ मायुस हुये लेकिन बी.जे.पी से पहले के सरकार का नपूसंकता उन्हें पता था इस लिये वे हिम्मत नही हारा और बात चीत आगे जाडी़ रखा। इधर प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर तथाकथित नेताओं और 10वी-12वी पास मिडीया पत्रकारों के फौज लगातार हल्लामचा रहा था। इस बीच कही भी कोई कांग्रेस के नेता नजर नही आये। नाही मिडीया के सामने और नाही किसी देशवासी को सांत्वना देने के लिये और नाही इस घटना पर आंतकियों को कोशने के लिये। कहाँ थे सारे काँग्रेसी और उन्के सहयोंगी जो आज 9 साल बाद कांधार मामले में घरियाली आँसू बहा हैं उस समय क्यों सभी नेताओं का गले में घीघी बंध गया था। या फिर किसी नेता के बंगले पर बैठ कर बी.जे.पी नेताओं के हाल पर जाम से जाम टकरा कर पार्टी मनाया जा रहा था क्या है जबाब इस बात का।
विमान संख्या IC-814 का अपहरण शाम को लगभग 6:00 बजे हुआ था और उस विमान में 189 सवारी थे। विमान के अपहरण के सूचना के ठिक 1:00 घंटे बाद शाम 7:00 बजे प्रधानमंत्री निवास पर तत्काल एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक हुआ, जिसमें हालात का जायजा लिया गया। इधर अपहरण करता विमान में तेल डालने के लिये लगातार विमान में बैठे यात्री को और विमानपतन के अधिकारीयों को धमकाते रहें। भारतीय जनता पार्टी के नेता विमान पर NSG कमाण्डो की कारवाही करना चाहते थे जिसके फल स्वरुप जब विमान अमृतसर हवाई अड्डा पर तेल लेने के लिये उतरा तथा वहाँ पर 45 मिनट खरा रहने के समय NSG अपने कार्यवाही में लगे हुये थे तथा उन्हें और भारतीय राजनेताओं को विमान में बैठे 189 यात्रीयों के बारे में चिन्ता भी था क्यों आतंकी आधुनिक हथियार से लैस थे और NSG कमाण्डों से डरे हुये भी थे वे किसी भी तरह की कार्यवाही पर सबसे पहला निशाना वे विमान के यात्रियों को बनाते और आंतकियों ने वैसा ही किया और रूपेन कत्याल को गोली मार कर हत्या कर दिया गया। अगर उस समय NSG कमाण्डों और किसी भी तरह का कार्यवाही करता और कुछ और यात्री मारे जाते तो आज कांग्रेस के नेता का सुर कुछ दुसरा होता और चिल्ला-चिल्ला कर कहते कि बी.जे.पी. सरकार को हिन्दुस्तान के नागरीकों का चिन्ता नही है। लेकिन यैसा कुछ नही हुआ NSG कमाण्डों का कार्यवाही किसी कारण से नही हो पाया।
लगभग खाली पेट्रोल टैंक सहित हवाई जहाज को लाहौर ले गये। लाहौर में पुनः उन्हें उतरने की अनुमति नहीं दी गई, यहाँ तक कि हवाई पट्टी की लाईटें भी बुझा दी गईं, लेकिन पायलट ने कुशलता और सावधानी से फ़िर भी हवाई जहाज को जबरन लाहौर में उतार दिया। जसवन्त सिंह ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री से बात की कि हवाई जहाज को लाहौर से न उड़ने दिया जाये, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारी जानबूझकर मामले से दूरी बनाना चाहते थे, ताकि बाद में वे इससे सम्बन्ध होने से इन्कार कर सकें। वे यह भी नहीं चाहते थे कि लाहौर में NSG के कमाण्डो कोई ऑपरेशन करें, इसलिये उन्होंने तुरन्त हवाई जहाज में पेट्रोल भर दिया और उसे दुबई रवाना कर दिया। दुबई में भी अधिकारियों ने हवाई जहाज को उतरने नहीं दिया। जसवन्त सिंह लगातार फ़ोन पर बने हुए थे, उन्होंने यूएई के अधिकारियों से बातचीत करके अपहर्ताओं से 13 औरतों और 11 बच्चों को विमान से उतारने के लिये राजी कर लिया। रूपेन कत्याल का शव भी साथ में उतार लिया गया, जबकि उनकी नवविवाहिता पत्नी अन्त तक बन्धक रहीं और उन्हें बाद में ही पता चला कि वे विधवा हो चुकी हैं।
ये सभी घटना 24 दिसम्बर की है आगे 25 दिसम्बर को सुबह सुबह विमान अफगानिस्तान के कंधार नामक जगह में छोटे से हवाई अड्डा पर उतार लिया गया था। 25 दिसम्बर को दोपहर होते होते हजारों की सख्या का भीड़ प्रधानमत्री कार्यालय पर जमा होने लगा तथा वे सभी सरकार के अन्दरुनी हालात से वेखबर या अनभिज्ञा लगातार सरकार विरोधी नारे लगाये जा रहे थे और उनके साथ कुछ नेता किस्म के लोग भी थे जो किसी भी हालत में बी.जे.पी. सरकार की किरकिरी कड़वाना चाहते थे इन्हें ना तो देश से मतलब था और ना ही यहाँ के जनता का वे सिर्फ अपना उल्लू सिधा करना चाहते थे ये वही नेता थे जो बंगारु लक्ष्मण को मिडीया का सहारा लेकर झूठे मामले में फंसवाया ये वही नेता थे जो जार्ज फर्नाडीस को ताबूत चोर कहा ये वही नेता हैं जो दिलीप सिंह जुदेव को फंसाया। और यहाँ भी विमान में फंसे यात्रीयों को बरगला कर नारे लगवाने का काम कर रहा था। इसी बीच मुल्ला उमर और उसके विदेशमंत्री(?) मुत्तवकील से बातचीत शुरु हो चुकी थी और शुरुआत में उन्होंने विभिन्न भारतीय जेलों में बन्द 36 आतंकवादियों को छोड़ने की माँग रखी। जिसे की बी.जे.पी के लैहपुरुष श्री लालकृष्ण आड्वाणी जी ने एक झटके के साथ खारिज कर दिया (हमें इस बात को याद रखना चाहिये) आतंकियों को लौहपुरुष श्री लालकृष्ण आडवानी के इस दिलेरी की उम्मीद नही था। आतंकि इस बात पर थोडे़ मायुस हुये लेकिन बी.जे.पी से पहले के सरकार का नपूसंकता उन्हें पता था इस लिये वे हिम्मत नही हारा और बात चीत आगे जाडी़ रखा। इधर प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर तथाकथित नेताओं और 10वी-12वी पास मिडीया पत्रकारों के फौज लगातार हल्लामचा रहा था। इस बीच कही भी कोई कांग्रेस के नेता नजर नही आये। नाही मिडीया के सामने और नाही किसी देशवासी को सांत्वना देने के लिये और नाही इस घटना पर आंतकियों को कोशने के लिये। कहाँ थे सारे काँग्रेसी और उन्के सहयोंगी जो आज 9 साल बाद कांधार मामले में घरियाली आँसू बहा हैं उस समय क्यों सभी नेताओं का गले में घीघी बंध गया था। या फिर किसी नेता के बंगले पर बैठ कर बी.जे.पी नेताओं के हाल पर जाम से जाम टकरा कर पार्टी मनाया जा रहा था क्या है जबाब इस बात का।
प्रधानमंत्री कार्याकल पर लगातार बैठक चल रहा था बाहर विमान में फंसे यात्रीयों के परिवार जन डा. संजीव छिब्बर के नेतृत्व में लगातार नारेबाजी और मिडीया में हल्ला मचा रहा था कि किसी भी किमत पर उन्कें परिवार बालों को बचाया जाये इसके लिये 36 क्या हिन्दुस्तान के सभी आंतकवादियों को छोड़ना परे तो छोड़ काश्मीर देना परे तो दे दो। इसी क्रम में फौजी श्री जसवन्त सिंह शास्त्री भवन में आयोजित प्रेस कांफ़्रेस में आये लेकिन उन्के प्रेस कान्फेन्स में यात्रीयों के परिवार जन घुस आये और जसवन्त सिंह के सामने आ गये उन सभी का नेतृ्त्व डा़. छिब्बर कर रहें थे डा. छिब्बर एक पढे़ लिखे इन्सान और विख्यात सर्जन हैं तथा इस देश के नागरीक भी है ने श्री जसवन्त सिंह के सामने आकर कहा हमारे परिवार बालों को किसी भी किमत पर बचाना है इसके लिये हिन्दुस्तान को जितना किमत चुकाना है चुकाये " जब मुफ्ति की बेटी को बचाने के लिये आंतकी को छोडा़ जा सकता है तो हमारे परिवार वालों को बचाने के लिये क्यों नही" कुछ भी किमत चुकाओ हमारे रिस्तेदारों को छुडाओं चाहे तो पुरा काश्मीर दे दो सारे आंतकियों को छोड़ दों।
इस पुरे घटना कर्म और मेराथैन बैठक करते करते 3 दिन निकल गया 28 तारीख को भा.ज.पा सरकार ने सर्वदलिये बैठक बुलाया जिसमें इस देशके लगभग सभी राजनीतिक पार्टीयों को बुलाया गया उसमें कांग्रेस पार्टी भी बैठी थी उस बैठक में सभी राजनीतिक पार्टीयों ने यह फैसला लिया कि भा.ज.पा सरकार जो भी फैसला लेगी दुसरे राजनीतिक दल उसके साथ है। उस बैठक में आंतकियों के माँग को मानने के लिये सहमति बना। क्यों कि हिन्दुस्तान से पहले भी कई देश विमान अपहरण के घटना के बाद लगभग सभी देशें ने आतंकियों के आगे घुठने टेकने के अलावा और कुछ नही कर पाया हिन्दुस्तान कोई पहला देश नही है जो आतंकियों बात मान करे अपने देश के नागरिकों को बचा कर कोई गुनाह किया हो। आखिर 28 दिसम्बर को सरकार और आतंकवादियों के बीच “डील फ़ाइनल” हुई, जिसके अनुसार मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर, और अहमद उमर शेख को छोड़ा जाना तय हुआ। कांग्रेस भी इस बात से सहमत था कांग्रेसीयों के सहमती पर भी 5 आंतकियों को छोडा गया। इस मामले में अगर कांग्रेस बी.जे.पी को कटघरे में खरा करना चाहता है तो काँग्रेस भी कांधार मामले में दोषी है पाँच आंतकी को छोडने के मामले में कांग्रेसी ज्यादा दोषी है। ना कि बी.जे.पी क्यों कि काँग्रेस सिर्फ इस मुद्दे को वेट बैंक के लिये उठा रहा है ना कि देशहित्त में। पुरे 9 साल चुप्पी के बाद कांधार काण्ड का चर्चा करना सिर्फ काँग्रेस अपने दोष छिपाने के लिये कर रहा है ना कि आतंकवाद के खात्में के लिये।
इस घटना के 9 साल बीत गया इस बीच ना किसी काग्रेसी और ना ही उस के सहयोगी दल को कांधार के मामले पर घरीयालि आसू बहाने का जरुरत महसुस हुआ और ना ही कभी आसू बहाया कारण कांग्रेस खुद है। इस पाँच साल के शासन काल को अगर हम सभी गौर से देखें तो पता चल गायेगा कि आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस को इस देश की चिन्ता होने लगा क्या क्या कारण है कि 12 साल तक इस देश का नागरिकता ना लेने बाली सुपर प्रधानमंत्री सोनिया गाँधि को इस देश के जनता का सुध आ गया। आखिर क्या कारण है प्रधानमत्री श्री मनमोहन सिंह पर काधार पर आसू वहाँ रहें हैं क्या कारण है ट्रेनिप्रधानमंत्री राहूल गाँधी जिन्हें हिन्दुस्तान का क्षेत्रफल तक पता नही कांधार के घटना के समय कहाँ बैठे थे किसी को नही पता है उन पाँच आतंकियों के याद में आँसू वहा रहें हैं। कारण और कुछ नही है कांग्रेस को लग रहा है कि इस चुनाव में उसका दुर्गती होने बाला है रायवरेली और वरेली सीट बचाना काँग्रेस के लिये मुसकिल हो रहा है। वैसे भी अब काँग्रेस नेता के नाम पर बचे ही कितने है मोहम्मद अजहरउद्दीन जिसने अपने कारनामों से क्रीकेट का ही नही हिन्दुस्तान के सर पर कंलक लगा दिया, पप्पु यादव जो जेल से सीधे चुनाव मैदान में उतरे हैं, साधु यादव इनके कारनामें के वारे में चर्चा करना हो तो बिहार चले जाइये वहाँ की जनता दौरा-दौरा कर मारेगी, आनन्द मोहन अब इस सभी नेताओं के रहते हुये काँग्रेस तो कंधार जैसा वेसिर - पैर का मुद्दा ही उठायेगा। वैसे भी काग्रेस में स्टार प्रचार तो सिर्फ तीन बचे हैं 1. सोनिया गाँधी, 2 राहुल गाँधी और 3 मिडीय। आतंकवाद के खात्में के नाम पर काग्रेस ने पुरे पाँच साल में किया क्या सिर्फ शिवराज पाटिल को हटाया। अफजल को फांसी देने के नाम पर कांग्रेस के ही नेता दंगा होने की बात कह रहें हैं। कांग्रेस के नेता अगर कांधार मामले को उठा कर यह समझ रहें हैं कि जनता मुर्ख हैं और उनके पाँच साल के कुशासन को माँफ करके काधार मामले के धरियाली आँसु पर काँग्रेस को वेट दे देगा तो काँग्रेस का यह भुल है जनता अब जागरुक हो चुका है और अपना भला बुरा समझने लगा है।
6 comments:
Sach kahaa aapne..
Aur sach hameshaa kadawaa hotaa hai...
Aapko badhaayee..
~Jayant
Dikhai diye the naa. Bole to the ki sarkari jo faisla le congress ooska saath degi.
Mumbai ke taaz hamale ki wah vahi leti hia congress. Kitani laase giri thi taz aur oberai me. Kandhar to desh ke baahar tha. Taz aur Oberai desh ke bhitar tha. Aur jis tarah mulli gaazar ki tarah logo ko kata gaya dono hotelon me oosko bhulaya nahin jaa sakta hai. 5 saal tak patakho ki tarah bomb bisphot karte rahe paakistani lekin sarkar ne ek shabd nahin bola pakistan ke khilaf. Election nazdik aate hi paakistan ki yaad aa gayee. Aatankvadiyon ko kade shabd nahin kahate kewal pakistan ko kahate hain. Naxali ees tarah desh me dhum dhadaka machaaye hue hain maano bomb vishphot to unake liye khilaune jaise hai. Grihmantri aur pradhanmantri ek baar bhi jor nahin dikhaate.
चंदन भाई आपके द्वारा लिखा गया यह लेख सत्य को प्रकट करता है। आज आंतकवादियों को छोड़ने की घटना को काग्रेस विफलता बता रही है, अगर आतंकवादी पूरे जहान को उड़ा देते तो आज कांग्रेस की क्या प्रतिक्रिया होता यह देखने की बात होती।
कांग्रेस ने देश में नपुसंक नेताओं की फौज खड़ी की जिसने आजादी से पहले अंग्रेजो और आजादी के बाद विश्चसमुदायद के समाने हाथ फैलता नजर आता है। ये भूल जाते है कि कब और क्या इनके नेतृत्व में हुआ। अगर कांग्रेस की करतूतो को बताया जाने लगे तो इस बेहया पार्टी को भी शर्म नही आयेगा।
देश को इस हाल मे पहुंचाने में कांग्रेस का ही हाथ है।इन्हों ने देश का बंटाधार कर दिया है\
बहुत सही व सटीक पोस्ट लिखी है।
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने!
bahut achha.
http://rajkaj.blogspot.com/
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