30 September 2009

सावधान - आती एक बदबू भ्ररी टिप्‍पणी

सावधान ब्‍लागरो ! सावाधान !! आपके ब्‍लाग पर एक मौलाना की सडियल बदबू भरी लिंक से ओतप्रोत टिप्‍पणी कभी भी आपके ब्‍लाग पर आ सकती है। यह बदबू भरी टिप्‍पणी एक वायरस का काम करती है जो ब्‍लागरों के मध्‍य वैमनस्‍य फैला रही है। इस मुल्‍ला ब्‍लागर की मंशा चिट्ठाकारो के मंच पर हंगामा मचाना और तमाशा देखना है। अत: आप सभी ब्‍लाग कि इस आती एक बदबू भरी टिप्‍पणी को देखते ही इसका दमन करे और अपने ब्लाग को इसके बदबू से आपके पाठक भटक सकते है।

ब्‍लागहित में महाशक्ति समूह द्वारा जारी

20 comments:

चौहान said...

Ok Thanks For Information

We Care About This Mulla Virus

Dr. Anil Kumar Tyagi said...

मुल्ला मोलाना तो भारत के लिये हमेशा से सडियल ही रहे हैं। इन्हीं के बहकावे में आकर इनके अनुयाइ समाज में बदबू फैलाने के सिवा कुच्छ भी नही करते । हमरे देश के लिये ये वायरस का ही काम करते हैं।

विशाल मिश्रा said...

इनकी औरते भी जब सड़क पर चलती है तो सड़क पर बदबू फैल जाती है, नाक पर रूमाल रखना पड़ता है। छी छी पता नही क्‍या क्‍या खा कर पैदा होती है।

Unknown said...

हम तो आने ही नहीं देते ऐसी टिप्पणी को अपने ब्लॉग में। अब तो बेचारे मौलाना हमारे ब्लॉग में बिना लिंक वाली टिप्पणियाँ भेजते हैं पर हम उन्हें भी धता बता देते हैं। हाँ उनका फड़फड़ाना देख कर कभी कभी कोई टिप्पणी प्रकाशित भी होने देते हैं। आखिर है तो हमारा ब्लॉगर भाई ही ना?

Unknown said...

अभी तक तो इस सड़ांध को हम अपने ब्लाग पर "अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता" के नाम पर सहते आ रहे हैं, देखते हैं कब सब्र का प्याला छलकता है। लेकिन बाकी ब्लागर इस बदबू से बचाव के लिये खिड़की-दरवाजे बन्द कर सकते हैं… करना चाहिये।

क्षीण-शक्ति said...

दर-असल पूरे ब्लॉग जगत में अब तक तुम लोग सडांध फैलाते रहे हो. अब मात्र एक व्यक्ति से ही हार मान गए और दरवाज़े का सांकल लगा बैठे. बड़े बने हैं ब्लॉगर की ..... अगर वाकई लिखना है तो उसको सार्थक रूप से तथ्यों सहित और हवाले सहित लिखो और अगर कोई उसके खिलाफ लिखता है तो उसका निवारण भी करो अगर वाकई तुम सत्य पर हो.

इस तरह का फैसला अति कट्टर विचार धरा के अर्न्तगत आता है या भगौडों की श्रेणी में. तुम्हारी संख्या तो उनकी संख्या के आगे बहुत ज्यादा है बल्कि वे तो अभी एकाध ही हैं और तुम अनगिनत फिर भी हार मान गए. अगर वाकई तुम्हारी विचारधारा पुख्ता है तो मुकाबला करने के बजाये भाग रहे हो. नाम है महाशक्ति और अभी एकाध से ही हार गए.

Arvind Mishra said...

क्या करुँ इन्ही लोगों के चलते न चाहते हुए हमें माडरेशन लगा कर रखना पड़ रहा है !

निशाचर said...

भाई लोगों यह वायरस नाम बदलकर भी आ जाता है. अब यहीं ऊपर देख लो. यह "क्षीण- शक्ति" नाम से यहाँ भी घुस आया है. तुंरत बाहर करो इसे.

पूर्ण शक्ति said...

@Kshin shakti ji ....

bhagwaan aapk ladne ka saamartya de....

वे तो अभी एकाध ही हैं

ve to ya hum to?
:)


waise zayada time nahi lagega amoeba ko faline main....

badi tezi se badhte hain ve (aap) jaise log !!

पूर्ण शक्ति said...

bahut badhiya lekh tha.....

....maine apne blog main moderation nahi laga rakha hai isliye anonymus....

waise anonymus comment karne ka ek faiyda hai ki aap badhiya sa link jod sakte ho....

Vandeeeeeeeeeeeee Mataram !!

राज भाटिय़ा said...

अरे आप हम को साबधान कर रहे है ओर यह यही छाये हुये है,समझदार को इशारा काफ़ी होता है, ओर बेशर्म को जुते भी मारो तो भी वो कहा हटता है, किसी ना किसी रुप मे आ मरता है, अपने खान दान की नाक कटवाने के लिये... तोबा तोबा

Girish Kumar Billore said...

Aajkal badaboo kaa hee raaj lagaa hai
chalo dekhata hoon kidhar se aa rahee hai

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

अवधिया जी ने ऐसे वाइरस का बड़ा सुन्दर काट निकाल रखा है | टिप्पणी modetaion का ...

हम तो इनकी वाइरस आते ही डिलीट मार देते हैं |

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अगर इस बदबू का कोई पक्का हल नहीं किया गया तो कहीं ऎसा न हो कि यहाँ किसी "बदबूस्तान" के लिए आवाज बुलन्द होने लगे......

समय चक्र said...

वाह बढ़िया समय पर जानकारी दी है . ऐसो की काट माडरेशन क उपयोग

Girish Kumar Billore said...

ये निशाचरी वृत्ति के पोषक कौन है ज़रा खुलासा हो जाए जो नेट पर गंदगी मचाए जा रहा है ?

Anil Pusadkar said...

हमने तो पहले ही नाक पे रूमाल(माडरेशन)लगा रखा है।

Mohammed Umar Kairanvi said...

ऐ नाम की महाशक्ति किया तुझे पता है कि दुनिया मैं मूर्ख अधिक होते हैं, और मूर्ख इशारा नहीं समझते, सांकल देखने आया लगी की नहीं, प्रचारलिंक नहीं छोड रहा के मुर्ख भी समझ जायेंगे, ना ही समझें तो बढिया, तुम अपना धर्म प्रचार करो मैं नहीं दिखाई दूंगा, कुप्रचार करोगे तो जानते हो क्‍या होगा, अपना नया डायलाग है रौद दूंगा,

डा. अमर कुमार said...


पढ़े लिखे पागल की बिगड़ी हुई हराम की औलाद लगता है, यह वाइरस !

निशाचर said...

@गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल'
ये निशाचरी वृत्ति के पोषक कौन है ज़रा खुलासा हो जाए जो नेट पर गंदगी मचाए जा रहा है ?
गिरीश जी अगर देशप्रेम और राष्ट्रवाद की बात करना निशाचरी वृति और गन्दगी है तो फिर यह गन्दगी अभी आपको बहुत झेलनी पड़ेगी.