30 March 2010

कांग्रेस क्या फासीवाद की फोटो कोपी बन चुकी है…….

हाल हीं मैं वर्ली सी लिंक के उद्घाटन के बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री तक ने जिस तरह का व्यवहार अमिताभ जैसे सितारे के साथ किया है वो क्या फासीवादी चरित्र का एक नायाब नमूना नहीं है……इसे दोनों ही संदर्भों मैं देखा जा सकता है….एक तो हमारे भोंदू युवराज से मित्रता के चलते शाहरूख खान की फिल्म के रिलीज के लिए पूरा सरकारी तंत्र यूं लग जाता है जैसे बंबई पर हमला होने वाला है…..(इस मौके का फायदा उठाकर भले ही आतंकवादी कहीं ओर अपना काम अंजाम दे जाते है)….वहीं सदी के निर्विवाद सितारे को बदनाम करने की पूरी चेष्टा कांग्रेस द्वारा की जा रही है…..

दूसरी ओर अमिताभ बच्चन का अपमान इसलिए किया जा रहा है कि उन्होने गुजरात का ब्रांड एंबेसडर बनना स्वीकार किया….क्या गुजरात पाकिस्तान का हिस्सा है…..क्या गुजरात मैं सरकारी तंत्र भ्रष्ट है…..क्या गुजरात मैं रोजाना भारत विरोधी प्रदर्शन होते हैं……क्या गुजरात मैं चुनी हुई सरकार नहीं है……देश के आजाद होने के बाद से इस तरह की अस्पृश्यता की फासीवादी मिसाल कहीं भी नहीं मिलेगी……कांग्रेस ने जितनी झख गुजरात के चुनाव के दौरान मारी इतनी और भी मारे तो भी देश और विशेष कर गुजरात की जनता इस तरह के कृत्यों को माफ नहीं करती है…….यदि गुजरात के मुख्यमंत्री को सांप्रदायिक माना जा रहा है तो बरेली के दंगों के दौरान मुख्यमंत्री के संदिग्ध चरित्र के बारे मैं कांग्रैस क्यों नहीं बोल रही है…..कुल मिलाकर देश की जनता के सामने कांग्रेस की ये घृणा की राजनीति धीरे धीरे सामने आ रही है…….पर हिंदुस्तान के लोकतंत्र की सरकार चलाने वाली पार्टी का ये चरित्र निश्चित ही दौगला है……

अभिषेक बच्चन को अर्थ आवर कार्यक्रम से अलग करना तो कांग्रेस के फासीवादी चरित्र की पराकाष्ठा है……..राजनैतिक अस्पृश्यता की ये अलोकतांत्रिक चाल कांग्रेस को भले ही मुस्लिम कठमुल्लाओं के वोट बैंक पर तो भले ही काबिज करवा दे पर निश्चित रूप से देश की लोगतांत्रिक व्यवस्था को इससे बहुत नुकसान होने वाला है…….कांग्रेस की इस तरह की हरकतों के बाद तो मायावती की माला और मूर्तियां सब सही लगने लगी हैं……शायद भारतीय राजनीति की यही दशा अब होने वाली है…..

2 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

कौंग्रेस का इतिहास तो जग जाहिर है मगर कौंग्रेस में पिछले कुछ सालों में बहुत से परिवर्तन देखने को मिल रहे है ! बाकी की बात छोडिये
आप कभी टीवी पर जब कोई वाद-विवाद का लाइव शो देख रहे होते है तो किसी भी कौंग्रेस प्रवक्ता की बौडी लैंगुएज का अध्ययन कीजिये ! अपने हितो को प्रोटेक्ट करना एक बात है मगर किस अंदाज में वे बात करते है, वो देखने लायक है ! कल एक महाशय किस तरह की शब्दावली टीवी पर इस्तेमाल कर रहे थे वो भी आप लोगो ने देखा होगा!

Pramendra Pratap Singh said...

काग्रेस अपनी सबसे निहायत और घटिया स्थिति मे पहुँच चुकी है, स्थिति यह है कि आप यह पार्टी आपनी गंदी राजनीति के कारण अमिताभ को नीचा दिखा रहे है, न सही सदी के नायक के रूप मे बल्कि एक नायक के रूप मे सम्‍मान दिया जाना चाहिये था।