28 March 2008

"लाडली-लक्ष्मी"

हमको मालूम न था कि एक दम सोच में बदलाव आ जाएगा ,बेटियों के बारे में बदलनी ही चाहिए ,एक सरकार सोच बदल देने में सफल क्यों हुई ......??क्या सरकारें केवल शासक होतीं हैं ....?आपको ये सवाल आपको सता रहें हैं आप खोज़ना चाहते हैं"यकीनन "
तो आप "लाडली-लक्ष्मी" योजना पे गौर करिए भारत में मध्य-प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जन्हाँ मानव-विकास को भी महत्त्व पूर्ण माना है... अधोसंराचानात्मक विकास के साथ साथ जीवन-समंकों की सकारात्मक दिशा तय करने वाली मध्य-प्रदेश सरकार ने जो कार्यक्रम चलाए उनमे "लाडली-लक्ष्मी " योजना सबसे चर्चित योजना है।
बेटियां अब समाज पर बोझ नहीं है अपितु लक्ष्मी सदृश्य है । प्रदेश सरकार ने बेटी के जन्म लेते ही उसे लखपति बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है । सरकार द्वारा इसके लिये शुरू की गई ''लाडली लक्ष्मी'' योजना से मेरी परियोजना क्षेत्र बाल-विकास परियोजना बरगी ने जबलपुर जिले की किसी भी ग्रामीण परियोजना की तुलना में सर्वाधिक प्रकरण 490 प्रकरण तैयार कर विभाग अध्यक्ष को भेज दिए हैं. जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्री महेन्द्र द्विवेदी के मार्ग दर्शन में मुझे मिली इस सफलता की चाबी कुमारी माया मिश्रा,संध्या नेमा,मीना बड़कुल,नीलिमा दुबे,जीवन श्रीवास्तव,जयंती अहिरवार, सरला कुशवाहा,सुषमा मांडे के हाथों में रही । प्रदेश सरकार अपनी ओर से लाडली लक्ष्मी योजना के तहत पंजीकृत हर बालिका को 5 वर्ष तक प्रति वर्ष 6 हजार रूपये अर्थात कुल 30 हजार रूपये के राष्ट्रीय बचत पत्र क्रय करके देगी । जब बालिका विवाह योग्य होगी तब उसे करीबन लाख रूपये से अधिक की राशि मिलेगी । इसके अलावा बालिका जब छठी कक्षा में पहुंचेगी तब उसे दो हजार रूपये, नवी कक्षा में प्रवेश पर साढ़े सात हजार रूपये तथा 11वीं एवं 12वीं कक्षा में अध्ययन के दौरान 200 रूपये प्रतिमाह के हिसाब से छात्रवृत्ति भी प्रदान की जायेगी ।