27 April 2008

बावरे फकीरा यूँ बना

पूत के पाँव पालने में नज़र आ जाते है। कई संगीत कारों ने अपने व्यस्त होने बड़े नामी गिरामी हो ने की वज़ह से मेरे प्रोजेक्ट को नकारा ।
मुझसे क्या मिलेगा ....?शायद यही सोचा होगा बेचारों ने
सच मिलता भी क्या हम ठहरे फोकटिए गीतकार शब्दों का धंधा वो भी पोलियो ग्रस्त बच्चों की मदद के लिए ...!
संकल्प "मिसफिट" हूँ न दुनियाँ के लिए ।
मेरे भाई सह मित्र जितेन्द्र जोशी ने कहांश्रेयस कर लेगा कंपोजिंग । गीत देदो उसे । मामला तय हो गया श्रेयस की कम्पोजीशन पर आभास को गाना था , फीमेल वोईस के लिए संदीपा,कोरस के लिए दीवान साहब,योगेश,श्रद्धा,मेरी सहचर सुलभा सहित इक लम्बी कतार में लोग आगे आए । वी ओ आई में जाने की कोई सूचना न थी ।
इंदौर आडिशन में जाने के पहले आभास का प्रोजक्ट पूरा हुआ....... मेरा सपना भी आकार लेने लगा.... !
पूरी मस्ती और उछाह के साथ पूरी हुई रिकार्डिंग , यू ट्यूब पर यही मस्ती है पोस्ट कर रहा हूँ।