10 November 2008

धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन पर रोक नहीं

हाईकोर्ट ने कहा है कि वर्षो पुरानी धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। कोई व्यक्ति मुकदमों के जरिए इस तरह के मामले में रोक लगाने की मांग नहीं कर सकता है। यह कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है कि वह इस पर सुनवाई करे। इसके लिए कानून भी बने हुए हैं।


हाईकोर्ट की जस्टिस एसएन ढींगरा की पीठ ने स्वामी दयानंद द्वारा लिखी गई पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है। पीठ ने निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर भी रोक लगा दी है। पीठ ने कहा कि अगर पुरानी किताबों के प्रकाशन पर रोक लगा दी जाए, तो भविष्य में लोग बाइबिल, कुरान, गीता आदि पुस्तकों के प्रकाशन पर रोक लगाने की भी मांग कर सकते हैं। पेश मामले में मुस्लिम समुदाय के दो लोगों ने सिविल कोर्ट में अर्जी दायर कर 135 साल पुरानी धार्मिक पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में चल रही है। इसके खिलाफ प्रकाशक सार्वदेशिक प्रेस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पूछा था कि क्या दीवानी वाद के जरिए कोई व्यक्ति वर्षो पुरानी धार्मिक पुस्तक पर रोक लगाने की मांग कर सकता है।

3 comments:

Pramendra Pratap Singh said...

manniy nyalay ka achchha faisala

मैथिली गुप्त said...

सत्यार्थ प्रकाश पर रोक?
सत्यार्थ प्रकाश तो सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लिखी गया अद्भुत ग्रंथ है, इसमें किसी धर्म विशेष को लक्ष्य न करके सारे समाज की कुरीतियों के खिलाफ लिखा गया है.

Udan Tashtari said...

स्वागत योग्य फैसला.