14 January 2009

महाजाल सबसे तेज़ !!



एक " रिपोर्ट:"- (संक्रांति की सुबह "महाजाल " पर समाचार नुमा
यह आलेख) पढ के शरीर का रोयाँ -रोयाँ खड़ा हो गया। तभी श्रीमति जी ने शेविंग-उपकरण सामने लाके रख दिए साहब आज शेव करके समय एक भी बाल न छूट पाया । वे बोलीं:-आज इत्ती जल्दी शेव निपटा लिया । मेरे मुंह से निकल गया महाजाल पे छपी 2040 का समाचार पढा तो यह सम्भव हुआ है। श्रीमति बिल्लोरे अपना माथा खाजुआनें लगीं कि हम ने क्या कहा । तब तक अपने मानस में भी "

" हलचल:"होने लगी कि इतने शब्द तो पहले से ही हिन्दी में विराजे हैं पंडित जी ने गज़ब शब्द खोज निकाला इसे अब भाषाविज्ञानी तय करेंगे कि थोक कट-पेस्टीय लेखनशब्द को शामिल किया जाए या नहीं अगर ब्लागर्स से कोई पूछेगा तो हम सब दादा के साथ हैं। उधर कबाड़ी भाई के पास पुराने रेडुए से ये सुनने मिला आत्म-विभोर हूँ ! इस बीच तिल का कटोरा दो बार मेरे सामने से से वापस जा चुका है अत: पोस्ट आधी-अधूरी छोड़ के उठ रहा हूँ बाकी एहावाल शाम के बाद पोस्ट करूंगा मुझ डर है कि संक्रांति कहीं क्रान्ति का रूप न रख लेवे। इन अन्तिम-पंक्तियों के लिखे जाने तक पाँच पुकार सुनाई पड़ चुकीं हैं मुझे । सभी को सादर मकर-संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाए अब आगे 08:45 बजे घर लौटा तो सोचताहूँ सुबह की चर्चा को एक सुंदर मोड़ दे दूँ- सो लेपू खोला ही था कि येभाई साहब -यानीअपने दुबे जी याद आ गए जिनने ने गज़ब की बात कही ।अपन को याद आया गंगटोक जहाँ पिछले दिनों बड़े भैया होकर आए थे सो ये आलेख बांच ही लिया कि नाथुला पास --बर्फीली वादियाँ में कैसा लगता है कि मन में आया पतंग बाजी करलें किंतु एक डाकिया हाँ वही हवा का डाकिया मेरी पुरानी प्रेमिका , की याद लाया वो भी व्हाया - राजीव रंजन प्रसाद, और फ़िर अचानक हमने पतंग बाजी का मसला बीच में ही छोड़ कर [रात में पतंग उडाना असम्भव मान के ] आइने में जब देखा, तो पाया कि हम 45 के हैं और पतंग पर समय जाया करने 'कुत्ते से कुछ शिक्षा लें कि वो कैसे अमीर हुआ । नौवें सोपान पर है चिट्ठों की चर्चा जो रवीन्द्र प्रभात जी की "परिकल्पना " में है । उधर श्रीमती जी के बनाए तिल ले लड्डू खूब ज्यादा हो गए हैं तो ब्लॉग पर स्वास्थ्य चर्चा लेकर मिहिर भोज उपस्थित हैं न अब आप न तो तिल से डरिए और न ही ताड़ से । चलो अब बंद करता हूँ चर्चा बस का फ़ोन आ गया कल की ममत्व मेले वाली प्रेस कांफ्रेंस की तैयारी करनी है। सो सहिकिन्तु बॉस इस आलवेज राइट अब विदा कल तक के लिए

10 comments:

बवाल said...

हा हा मुकुल भाई पतंगबाज़ी के विषय में बजा फ़रमाया आपने। बाक़ी सारा कुछ "कुछ नक़द कुछ उधार ।”

राज भाटिय़ा said...

बिलकुल सही लिखा, मेने मुकुल जी के यहां टिपण्णी दे दी थी आअप के यहा राम राम करने चला आया.

MEDIA GURU said...

bahut sahi likh rahe hai sir . kya patang-bazi ki hai

Pramendra Pratap Singh said...

बहुत ही सार्थक चर्चा रही, चर्चा के चिट्ठे भी बहुत अच्‍छे लगे।

बाल भवन जबलपुर said...

shukriya ji

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत अच्‍छे...बिलकुल सही !

बाल भवन जबलपुर said...

Ravindr ji
abhar

MEDIA GURU said...

mool nivas kahan hai sir aapka?

बाल भवन जबलपुर said...

Tara Chandr ji
jabalpur se hoon ji

Vinay said...

best hai jee!