10 December 2007

कभी कोशिश मत करना

कभी कोशिश मत करना,
मेरे दिल को गुलाम बनाने की।
बहुतों ने कोशिश की है,
मुझे मजनूँ और गुलफ़ाम बनाने की।
हर चीज से नफ़रत है मुझे,
जो पैबन्द इस जम़ाने की।
तेरे जेहन को नही मालूम,
सराय मेरे ठिकाने की।
कोशिश करते रहना और भी,
मेरे बारे में पता लगाने की।

3 comments:

Divine India said...

डरता-2 कोशिश की है हमने यहाँ टिपीयाने की…
:)

Anonymous said...

क्या लिखा है भाई...बहुतों ने कोशिश की है, मुझे मजनूँ और गुलफ़ाम बनाने की, दिल खुश हो गया..बधाई स्वीकार करें...

Pramendra Pratap Singh said...

अपकी दस पक्तिं की कविता बहुत ही मनमोहक है अगर मै किसी स्‍कूल का प्रध्‍यापक होता तो आपकी दस पक्तिंयॉं अपने स्‍कूल में डाल देता।