26 February 2008

बांग्लादेशी घुसपैठ : देशद्रोहि नेता हैं गुनाहगार

धर्म और राजनीति इस्लाम रुपी सिक्के के दो पहलू हैं। यह कथन आज भी उतना ही सही है जितना पहले था। अत: यदि बांग्लादेशी मुसलमान अपने धर्मप्रेरित राजनैतिक उद्देश्यों के लिये भारत में घुसपैठ करते हैं, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है; क्योंकि इस्लाम वस्तुत: प्रारम्भ से ही एक राजनैतिक आन्दोलन रहा है।हिन्दुस्तान में बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ कोई नयी बात नही है। यह एक दुरगामी राजनैतिक षड्य्न्त्र का अंग है, जिसका लम्बा इतिहास है। हिन्दुस्तान में बांग्लादेशी मुसलमानों का आसानी से लगातार घुसपैठ होते रहने का मुख्य कारण हिन्दुस्तान-बाग्लादेश की 4096 की.मी. लम्बी साझी सीमा है, जिसमें से 2217 कि.मी. पश्चिम बंगाल के दस जिलों को, 262 कि.मी. असम के 3 जिलों, 443, कि.मी. मेघालय के 5 जिलों, 858 कि.मी. त्रिपुरा और 318 कि.मी. मिजोरम के 3-3 जिलों को प्रभावित करती है।हिन्दुस्तान सरकार के बोर्डर मैनेजमेण्ट टास्क फोर्स की वर्ष कि 2000 रिपोर्ट के अनुसार 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार हिन्दुस्तान में बांग्लादेशी मुसलमानों घुसपैठीयों की संख्या इस प्रकार है : पश्चिम बंगाल 54 लाख, असम 40 लाख, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि में 5-5 लाख से ज्यादा दिल्ली में 3 लाख हैं; मगर वर्त्तमान आकलनों के अनुसार हिन्दुस्तान में करीब 3 करोड़ बांग्लादेशी मुसलमानों घुसपैठिए हैं।इस घुसपैठ मे हिन्दुस्तान के देशद्रोहियों का पूरा सहयोग एवं खुला समर्थन प्राप्त है। काग्रेस ने प्रारम्भ से ही नहीं की, उसे खुला बढावा दिया। सबसे पहले 1950 में नेहरु-लियाकत अली पैक्ट के अन्तर्गत 31.12-1950 तक हिन्दुस्तान में बसे बांग्लादेशी मुस्लमानों को यहाँ का नागरिक मान लिया। इसी प्रकार 1972 में इन्दिरा-मुजीब पैक्ट के अन्तर्गत जो भी बांग्लादेशी मुस्लमान 25 मार्च, 1971 तक हिन्दुस्तान में आया उसे विधिवत बसने दिया गया। हालाँकि आज सुप्रीम कोर्ट ने घुसपैठ रोकने एवं गैर कानूनी घुसपैठयों को निकालने के आदेश दिये हैं; मगर काग्रेस, सी.पी.एम. और इनके पीछल्लग्गु राजनैतिक दल किसी न किसी प्रकार इन आदेशों की उपेक्षा कर रहा हैं, इन घुसपैठयों को हिन्दुस्तान में रहने का जरुरी इन्तजाम, राशन कार्ड, वोटीग कार्ड भी बनवा कर दे रहा है। जिसके फलस्वरुप बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठीया इन्हें अपना वोट देकर चुनाव में इनके प्रत्यासी को जिताते भी हैं।बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठीया इस्लाम के सच्चे सिपाही हैं। वे शेष हिन्दुस्तान को मुस्लीम बहुल कर इसे इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं, ताकि यहाँ के हिन्दु धर्म को समाप्त किया जा सके; क्योकि इस्लाम विश्व भर अन्य धर्म के समाप्त कर केवल इस्लाम को हि देखना चाहता है। हिन्दुस्तान के सरकार ने भी माना है कि "हिन्दुस्तान में बांग्लादेशी घुसपैठ के लिये धार्मीक और आर्थिक कारणों सहित अनेक कारण हैं"।



जहाँगीर खाँ के मुगलस्तान रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बांग्लादेश ने एक नक्शा प्रकाशित किया है, जिसके अनुसार पूर्वि और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच हिन्दुस्तान क्षेत्र में घुसपैठ आदि के द्वारा एवं मुस्लीम जन्संख्या बढाकर इसे एक नया इस्लामी राज्य बना देना है। इसमें पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखण्ड, दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश के क्षेत्र को सम्मिलित करने कि योजना है। इसलिये इन उपर्युक्त क्षेत्रो में बांग्लादेशी मुसलमानों का घुसपैठ प्रमुखता से है।बंगाल के गवर्नर टी.वी. राजेश्वर (18.3.96) एवं असम के गवर्नर एस. के. सिन्हा (1998) और अजय सिंह (15.5.2005) अपनी रिपोर्टं में घुसपैठ से उत्पन्न राजनैतिक समस्याओं एवं हिन्दुस्तान की सुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित किया था; मगर मुस्लिम वोट बैंक ने इन देशद्रोही गतिविधियों को भी उपेक्षित कर दिया। जबकि वास्तव में बांग्लादेशी घुसपैठ को, पार्टी हित से उपर उठकर, राष्ट्र की सुरक्षा एवं अखण्डता की् दृष्टि से सोचना और इस देशद्रोही गतिविधियों को समाप्त करने में हि हिन्दुस्तान का हित है।पाकिस्तान में विदेशियों को घुसपैठ की 2 से 10 साल की सजा है। सऊदी अरेबिया ने 1994-1995 में एक लाख घुसपैठियों को निकाला जिसमें 27588 बांग्लादेशी मुस्लमान थे स्वयं बांग्लादेश ने 1,92,274 रोहिंगा वर्मी को अपने देश से निकाल बाहर किया फिर हिन्दुस्तान में रह रहे बांग्लादेशी को क्यों नही निकाला जा सकता। क्या मुस्लीम वोट बैंक राष्ट्रीय सुरक्षा से भी अधिक आवश्यक और महत्त्वपूर्ण है? यदि हाँ ! तो ऎसे देशद्रोहियों का वर्चस्व एवं राजनैतिक अस्तित्व मिटाना ही देश हित में होगा। इसमे लिये हमें एक जुटता दिखानी होगी और आपस की वैर भावना को छोर कर देश हित में काम करना होगा।

2 comments:

Pramendra Pratap Singh said...

भाई आपने चेताने वाली पोस्‍ट डाली है, इस पर विचार होना चाहिऐ, विश्‍व इतिहास में कई ऐसे शिक्षा प्रद अध्‍याय है आज समय है कि विश्‍वगुरू कुछ उनसे सीखे

Unknown said...

वाकई चेतने वाली बात तो है ही, हमारे निकम्मे और भ्रष्ट नेता देश को बेच खायेंगे, वैसे आपने एक और क्षेत्र नहीं दर्शाया, वह है "नक्सलिस्तान" जो शुरु होगा तमिलनाडु के ऊपरी हिस्से से और आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड होते हुए नेपाल तक फ़ैला हुआ है… दुःख और दुर्भाग्य की बात है यह लेकिन जब तक हम एकत्रित नहीं होते, कुछ नहीं होगा…