जागो भारत के नौजवानों,
भारतीयता पर अब खतरा है..
सुनो वो चीत्कार रहा ,
लहू का हर एक कतरा है.
कोई उत्तर दक्षिण करता है,
कोई पूरब पश्चिम करता है,
कोई मराठी मराठी रोता है,
और भारतीयता को खोता है..
आओ, बढ़ो,
तोड़ दो ऐसे मंसूबों को,
भारत एक है,
तोड़ दो भारत के इन सूबों को..
ऐसा दृश्य दिखाओ कि,
कोई कभी ना तोड़े भारत को,
स्मरण करो अर्जुन को,
और चक्रव्यूह तोड़ने की महारत को...
तोड़ दो इन ज़ंजीरों को,
जो गुलामी तक ले जाएगी,
फिर नेता, गुंडों, और प्रशासन
इनकी अंधी हुकूमत आयेगी...
भारत को एक करने का इरादा,
देश के जन जन में हो,
एक नया भारत बनाने का
इरादा मन में हो...
4 comments:
मेरी सबसे उम्दा कृति ,
आपके सुझाव आमंत्रित हैं
शानदार कविता,
यह कविता युवा मन में जोश जगाने वाली है बधाई।
ईन्शाअल्लाह , आमीन
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