25 March 2008

कम्युनिस्ट पार्टी का धर्म हिंसा है

इस से पहले आपने पढा़ था कन्नूर: कम्युनिस्ट पार्टी का रक्तरंजित इतिहास उससे से आगे पढे़

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शांति-प्रयासों का हमेशा स्वागत तथा समर्थन दिया । आगे हिंसा न हो, इस प्रयास में भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक श्री दत्तोपंत ठेगडी़ तथा दीनदयाल शोध संस्थान दिल्ली के तत्कालीन निदेशक श्री पी.परमेश्वरन ने दिल्ली के वरिष्ट कम्युनिस्ट नेता श्री ई.एम.एस. नम्बुदरीपाद और श्री राममूर्ति से वार्ता की । इसी प्रकार केरल में भी संघ और सी.पी.एम. के नेताओं के बीच वार्तायें हुयीं। लेकिन शांति समझौते के कागज की स्याही सूख्नने से पहले ही संघ स्वयंसेवकों पर बिना किसी उत्तेजना के हमले प्रारम्भ कर दिये गये। शांति बनाये रखने के लिये प्रतिबद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अतिसम्मानित न्यायाधीश कृष्णाय्यर एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री ई.के. नयनार की पहल पर सी.पी.एम. के साथ पुन: बैठकर 1999 में शान्ति प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिये सहमत हुआ। परन्तु इस वार्ता के दो दिन बाद ही सी.पी.एम. कार्यकर्ताओं ने भारतिय जनता युवा मोर्चा के राज्य उपाध्यक्ष श्री जयकृ्ष्णन मास्टर की उनके विद्यालय की कक्षा में छोटे-छोटे बच्चों के सामने निर्मम ढंग से हत्या कर दी गई। स्पष्ट है कि शान्ति वार्तायें पूर्णत: असफल एवं अनुपयोगी सिद्ध हुयीं।
फिर भी कुछ वर्षो तक भड़काने के गम्भीर प्रयासों के बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शान्ति बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर डटा रहा और कभी प्रतिकार नहीं किया और इसका परिणाम यह हुआ कि संघ को कई अच्छे कार्यकर्ताओं को खोना पड़ा और सी. पी. एम. के कार्यकर्ता और अधिक निर्दयी होते गये। वे जब भी राज्य में आते हैं तो सरकारी मशीनरी की मदद से उनकी निर्दयता सभी सीमायें लाँघ जाती है।
मार्च से शुरु हत्याओं का नवीनतम दौर अब तक पाँच स्वयंसेवकों का जान ले चुका है। 5 मार्च 2008 को शिवरात्रि के दिन थलसेरी शहर में तालुक शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री सुमेश हमेशा से शान्ति वार्ताओं में संघ का प्रतिनिधित्व करते थे। उसी दिन निखिल (22 वर्ष ) नाम के एक दूसरे स्वयंसेवक की जो लांरी क्लीनर था और अपने गरीब परिवार का एकमात्र सहारा था, हत्या कर दी गयी। श्री सत्यन नाम के राज मिस्त्री स्वयंसेवक को उसके कार्यस्थल से अक्षरश: बाहर घसीटकर उसका सिर काट दिया गया । उसके सिर कटे शरीर को उसके घर के निकट सड़क पर फेंक दिया गया । अगले दिन 6 मार्च को कुत्तुमरम्बा गांव के श्री महेश नाम के कार्यकर्ता की हत्या कर दी गयी और सिर धड़ से अलग कर दिया गया, अगले दिन 7 मार्च को कुडिडयेरी के श्री सुरेश बाबू तथा इल्थ्थुजा के श्री के.वी.सुरेन्द्रन (65 वर्ष ) की नि्र्मम हत्या की गई । इस प्रकार तीन दिनो़ में गरीब परिवारों के पांच नौजवान कार्यकर्ता हमसे छीन लिये गये । एक दर्जन से अधिक युवकों का अंग - भंग कर दिया गया। और वे विकलांग हो गये।

3 comments:

Unknown said...

chandan ji aap ko iss poat k liye badhai . accha likh hai .aise hi lekhan jari rakhiye........

Anonymous said...

चंदन जी बहुत बहुत धन्यवाद. वर्षों से चले आ रहे इस राक्षसी हत्याकांड को सहने के बाद लोक सभा में जब इस नरसंहार के बरे में आवाज़ उठाई गई तब स्पीकर का व्यव्हार बहुत ही शर्मनाक था. आवश्यक है की हरेक उपलब्ध साधन से हम इस की जानकारी सभी को दें

Pramendra Pratap Singh said...

सत्‍य से रूबरू करवान के लिये धन्‍यवाद