03 November 2008

गुरु जी सच में विषय ख़त्म हो गए ...?

"कसैला मुंह "- लेकर कहाँ जाएँ भाई पंचम जी ? निपट विष पचाऊ लग रहे हैं । असल में डर ये है कि " सफ़ेद झक्क घर " के सामने से निकलने वाला कोई विनम्र पुरूष उनके " सफ़ेद झक्क घर "-घर की दीवार पे माडर्न आर्ट न बना दे । मेरी राय में अपनी भी जेईच्च प्राबलम्ब है हम तो इस के शिकार हुए हैं चलो अच्छा हुआ अब इकला चलो का नारा सही लगता है हमको ।"अबोध का बोध पाठ " जैसी सार्थक पोस्ट लिखी जा रहीं हो और ......और लम्हे हँस रहें हैं ')">तो हम भी पीछे क्यों रहें भई !
अनुजा जी आदतन धमाका करतीं आज की पोस्ट के लिए मेरी ओर से लाल-पीला-हरा-भगवा-नीला हर रंग का सलाम !! अनुजा जी इनके बारे में पहले ही बता चुका हूँ कि भाई लोग कहते फ़िर रहे हैं इस कथा में देखिए:-

गुरुदेव ने ऐलान कर दिया-"सुनो....सुनो.....सुनो.....साहित्य लेखन के विषय चुक गए हैं...! "
क्या................विषय चुक गए हैं ?
हाँ, विषय चुक गए हैं !
तो अब हम क्या करें....?
विषय का आयात करो
कहाँ से .... ?
चीन से मास्को से .....?
अरे वही तो चुक गए हैं....!
फ़िर हम क्या करें..........?
लोकल मेन्यूफेक्चरिंग शुरू करो
औरत का जिस्म
हो इस पे लिखो
भगवान,आस्था विश्वास....भाषा रंग ..!
अरे मूर्ख ! इन विषयों पे लिख के क्या दंगे कराएगा .
तो इन विषयों पर कौन लिखेगा ?
लिखेगा वो जिसका प्रकाशन वितरण नेट वर्क तगड़ा हो वही लिखेगा तू तो ऐसा कर गांधी को याद कर , ज़माना बदल गया बदले जमाने में गांधी को सब तेरे मुंह से जानेंगे तो ब्रह्म ज्ञानी कहाएगा !
गुरुदेव ,औरत की देह पर ?
लिख सकता है खूब लिख इतना कि आज तक किसी ने न लिखा हो
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लोग बाग़ चर्चा करेंगे, करने दो हम यही तो चाहतें हैं कि इधर सिर्फ़ चर्चा हो काम करना हमारा काम नहीं है.
" तो गुरुदेव, काम कौन करेगा ?
जिसको काम करके रोटी कमाना हो वो करे हम क्यों हम तो ''राजयोग'' लेकर जन्में है.हथौड़ा,भी सहज और हल्का सा हो गया है . वेद रत्न शुक्ल,, की टिप्पणी अपने आप में एक पूरी पोस्ट बन गई इस ब्लॉग पर
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चलो चलते-चलते एक गीत हो जाए
अदेह के सदेह प्रश्न
कौन गढ़ रहा कहो ?
कौन गढ़ कहो ?
बाग़ में बहार में
सावनी फुहार में
पिरो गया किमाच कौन?
मोगरे हार में ?
और दोष मेरे सर कौन मढ़ गया कहो..?
एक गीत आस का
एक नव प्रयास सा
गीत था अगीत था
या कोई कयास था..!
ताले मन ओ'भाव पे कौन जड़ गया कहो ..?
जो भी सोचा बक दिया
अपना अपना रख लिया
असहमति पे आपने
सदा ही है सबक दिया
पग तले मुझे दबा कौन बढ़ गया कहो ..?
(आभारी हूँ जिनका :अंशुमाली रस्तोगी,मत विमत,पंचम जी और उनका जो सहृदयता से चर्चा का आनंद लेंगे )
और ब्लॉगवाणी के प्रति कृतज्ञ हूँ

4 comments:

Udan Tashtari said...

बेहतरीन चर्चा..आनन्द तो सभी लेंगे. आप जारी रहें.

बाल भवन जबलपुर said...

thanks aaj badi jaldi on line

विवेक सिंह said...

बेहतरीन लिखा . आभार !

Pramendra Pratap Singh said...

आज की चर्चा बेहतरीन है, उन ब्‍लागों पर भी गया काफी अच्छे ब्लाग थे।