30 November 2008

देश की आतंरिक सुरक्षा के सूत्र


1. भारत में कोई भी व्यक्ति या समुदाय किसी भी स्थिति में जाति, धर्म,भाषा,क्षेत्र के आधार पर बात करे उसका बहिष्कार कीजिए ।
2. लच्छेदार बातों से गुमराह न हों ।
3. कानूनों को जेबी घड़ी बनाके चलने वालों को सबक सिखाएं ख़ुद भी भारत के संविधान का सम्मान करें ।
4. थोथे आत्म प्रचारकों से बचिए ।
5. जो आदर्श नहीं हैं उनका महिमा मंडन तुंरत बंद हो जो भी समुदाय व्यक्ति ऐसा करे उसे सम्मान न दीजिए चाहे वो पिता ही क्यों न हो।
6. ईमानदार लोक सेवकों का सम्मान करें ।उनको हताश न होनें दें
7. भारतीयता को भारतीय नज़रिए से समझें न की विदेशी विचार धाराओं के नज़रिए से
8. अंधाधुंध बेलगाम वाकविलास बंद करें
9. नकारात्मक ऊर्जा उत्पादन न होनें दें ।
10. देश का खाएं तो देश के वफादार बनें ।
11. किसी भी दशा में हुई एक मौत को सब पर हमला मानें ।
12. देश की आतंरिक बाह्य सुरक्षा को अनावश्यक बहस का मसला न बनाएं प्रेस मीडिया आत्म नियंत्रण रखें ।
13. केन्द्र/राज्य सरकारें आतंक वाद पे लगाम कसने देश में व् देश के बाहर सख्ती बरतें ।
14: वंदे मातरम कहिये

29 November 2008

मेरे देश को खिलौना मत बनाओ

तुम जो व्यवस्था पे हावी होकर मेरे देश को बिगाड़ने बरबाद करने पे तुले होमित्र इस देश को खिलौना मत बनाओ खेलो मत यहाँ खून की होलियाँ मेरे मुल्क की सियासी तासीर को मत बिगाड़ो आदमी हाड मांस से बना है , उसे सिर्फ़ वोट समझ के मरने मत छोडो , उसकी कराह को सत्ता तक जाने वाली पगडंडी से मत जोडो
मित्र ये देश तुम्हारी वजह से नहीं मज़दूरों,सिपाहियों,किसानों,युवाओं का देश है देश जो मुंबई है जिसे कई बार तुम "आमची मुंबई"कह कर देश को दुत्कारतें हो । तुम सभी रुको देखो मेरा देश तुम्हारा नहीं उन वीर बांकुरों का कृतज्ञ है जो मुंबई को बचाने शहीद हुए । तुमने कहा था न कि यह तुम्हारी मुंबई है ....मुर्खता पूर्ण विचार था जिसे सच मान रहे थे सच कहूं ये मुंबई,ही नही समूचा देश समूचे देश का है । एक आम आदमी - क्या सोचता है शहीदों तुम्हें आतंकियों की गोली ने नहीं मारा , । सच के करीब जा रहा है मेरा देश मित्र सुनो उनकी बोलती आंखों की आवाज़ को ,

जियो हजारों साल, साल के दिन हो पचास हजार

आज महाशक्ति के वरिष्‍ठ सदस्‍य और हिन्‍दी चिट्ठाकारी के नामी चिट्ठकार श्री गिरीश बिल्‍लोरे '' मुकुल'' जी का जन्‍म दिवस है। गिरीश जी महाशक्ति समूह ब्‍लाग के स्‍थापना के समय से जुड़े हुये है और अपना आशीष और मार्ग दर्शन हम सभी को निरन्‍तर प्रदान करते रहते है। जन्‍मदिवस पर हम सभी लोग यही कामना करते है कि वे हमेशा इसी प्रकार अपना स्‍नेह हम पर बनाये रखे। महाशक्ति समूह उन्‍हे उनके 45 जन्‍म दिवस पर बधाई देते है और कामना करते है कि जियो हजारों साल, साल के दिन हो पचास हजार

27 November 2008

शर्म किसे आनी चाहिये.........

तलाशने गया था वह
अपनों के कातिलों को
कातिल पकड़ा गया
तो कोई
अपना ही निकला
फिर मारा गया वह
अपना कर्तव्य करते हुए,
अब तो शर्म
करो!
मेरी कल की पोस्ट पर आचार्य द्विवेदी जी की उपरोक्त टिप्पणी का जवाब मैंने प्रकाशित किया है

आदरणीय द्विवेदी जी

धन्यवाद

मेरी पोस्ट मीडिया द्वारा आतंकवाद को धर्म के नाम पर महिमांमंडित जिस तरह से
मीडिया ने किया है ..इस बात पर है..हिंदु आतंकवाद...मुस्लिम आतंकवाद....इस एपीसोड
ने आतंकवाद के खिलाफ लङाई को कमजोर किया है.....देखा जाये तो ये किसी देशद्रोह से
कम नहीं.....सिर्फ और सिर्फ हिंदु को बदनाम करने की जिद मैं वे लोग भूल गये कब वे
देश मैं फैले आतंकवाद का समर्थन करने लगे.....आप के विचार से क्या किया है ताज पर
हमले करके इन आतंकवादियों ने....साध्वी के हमले का बदला ही तो लिया है
....अल्पसंख्यकों पर हमलों का बदला ही तो लिया है(ये भी उन्होने चैनल वालों को फोन
करके ही बताया है...क्यों कि वे ही इन मजलूमों की आवाज को आप जैसे बुद्धिजीवियों तक
पहुंचा सकें ....जो गला फाङ फाङ कर फिर ये बता सकें कि देखों मैं तो एक धर्म पर
विश्वास न करने वाला मिस्टैकनली बोर्न हिंदु हूं....और देखो ये लोग जो कर रहे हैं
बिचारे इनके पास करने के लिए औऱ कुछ नहीं बल्कि इन्होने तो ये सब करना ही था
)

वैसे हो सकता है आपका शर्म करने का क्राईटैरिया कुछ अलग हो......मुझे तो तब भी
शर्म आ रही थी जब साध्वी को ...हिंदु को ...बदनाम करने के चक्कर मैं मीडिया बार बार
बिना साबित हुई चीजों को बार बार दिखा रहा था औऱ ये साबित करने मैं लगा था कि
आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद नहीं होता ...ये हिंदु होता है और मुसलमान भी होता
है.......इसलिए यदि कोई आतंकवादी घटना हो तब सोचे कि किसने की और फिर ये निश्चित
करें कि क्या करना है....
मुझे तो आज भी उतना ही दुख है ..गुस्सा है...आक्रोश है......और
इस सब के लिए कुछ करने की जबर्दस्त इच्छा है....बिना ये सोचे की वे हमलावर हिंदु थे
या मुसलमान.....वे सिर्फ आतंकवादी नहीं हैं बल्कि देश के दुश्मन हैं......मेरे
दुश्मन है...भारत माता के दुश्मन हैं(एनी आब्जेक्शन)

....ये बिना सोचे समझे ..विना पूरी पोस्ट पढे....बिना उसका सार समझे आपको शर्म
आनी चाहिये या मुझे सोचने का विषय है...श्री हेमंत करकरे की शहादत के बारे मैं शायद
आपसे कुछ ज्यादा ही गंभीर हूं मैं.....मेरी पोस्ट की अंतिम पंक्तियों मैं उनकी
शहादत को नमन किया गया हैं........
प्रिय मित्रो,
सादर नमस्कार,
मैं तरुण जोशी नारद पुनः आप सभी की सेवा मैं उपस्थित हूँ, मित्रों मैं अपने समूह की एक web site बनाकर समर्पित करना चाहता हूँ. कृपया कर सभी मित्र गण अपने बारे में सुचनाये मुझे भिजवाने की कृपा करे,मेरा e mail id है ceo-operations@in.com , सभी पाठक भी अपने फीड बैक भेजे.
तरुण जोशी " नारद"

भला हो डैक्कन मुजाहिदीन का ....मेरा नाम नहीं लिया.....

बंबई मैं आतंकी हमला फिर हुआ आज तक का सर्वाधिक भीषण हमला...और ये पूरे गुस्से मैं किया गया खूब बम फोङे गये और दबाके खून बहाया गया....बाकायदा चैनलों को नाम भेजकर नाम बताया गया....अब आप सोचेंगे कि क्या कारण रहा होगा कि वे लोग इतने गुस्से मैं थे...अरे भई सीधी सी बात है..खरचा वो करें और ए टी एस फैमस दूसरों को कर रहा है ..वो भी फोकट मैं.
गुस्सें गुस्से मैं उन्होने उस काचरे के बीज को भी निपटा दिया हेमंत करकरे साहब को ...कि इसी शख्स का किया धरा है ये सब.
भला हो डैक्कन मुजाहिदीन का कि उन्होने बजरंग दल या अभिनव भारत का या विहिप का नाम नहीं लिया नहीं तो ये हमारे बुद्धु बक्से वाले भौंपु अब तक ये आरती सुना सुना कर कानों को फोङ डालते और सुबह के अखबार मैं बम विस्फोट की जगह सुर्खियों मैं हिंदुवादी ताकतों पर प्रतिबंध की खबरें मुख पृष्ठ की शोभा बढा रही होती.

हेंमंत करकरे आतंकवादियों से लङते हुए शहीद हुए मेरा उनकों अन्य पुलिस वालों को और जितने भी लोग इस देशद्रोही आतंकी कार्यवाही मैं मारे गये उनको सबको शत् शतम नमन

20 November 2008

अम्‍बूमंणि रामदौस और उनकी विषय वस्‍तु

आज खबर पढ़ रहा था तो पढ़ने में आया कि कोई हालीवुड स्टार ह्यूं जैकमैन 2008 के सबसे कामोत्‍तेजक अर्थात Sexy पुरुष चुने गए है। भारतीय के लिये शर्म की बात यह की भारत का को नंग धडग आदमी इस दौड़ में शामिल नही हो पाया। जॉन अब्राहम, सलमान, हासमी पता नही कितने कपड़ा उतारू एक्‍टरों की मेहनत पर बट्टा लग गया। ये भारतीय एक्‍टर कितनी मेहनत करते है कमोत्तेजक कहलाने में किन्‍तु हो गया ढ़ाक के तीन पात, देश की बात होने पर सिर्फ इन्‍ही के चर्चे होते है किन्‍तु जहॉं विदेश की बात आती है, दुनिया में इनका नामो निशान नही होता है, बिल्‍कुल क्रिकेट खिलाडियों की तरह भारत में जो खेलने आता है उसे पटक के हरा देते है, किन्‍तु जब विदेश दौरे में हार जाते है तो कहते है कि बेईमानी कर के जीत लिये, खिसियानी बिल्‍ली खम्‍भा नोचे, ऐसे है भारतीय एक्‍टर और भारतीय क्रिकेट टीम।

आज कल तो सेक्‍स और सेक्‍सी दोनो ने समाज में बहुत गंदा वातावरण फैला दिया है। इसी में रामदौस भी अड़ गये है कि अब मर्द की शादी मर्द से करा के ही दम लेगे, चाहे मनमोहन साहब कितने खफ़ा क्‍यो न हो ? मनमोहन साहब भी करे तो करे क्‍या चार दिन के मेहमान जो ठहरे पता नही अगली बार कुर्सी मिले भी कि न मिले, गे मामले में उनकी रूचि देख कर लगता है कि शायद कही साहब अपने लिये नये पार्टनर तो नही खोज रहे है, अब पता चला कि Sexy Man ऐसे लोगो के लिये चुना जाता है अब तो उन्‍हे सबसे कमोत्तजक पुरूष ह्यूं जैकमैन पंसद आ ही जायेगे सूत्रों से पता चला है कि उन्‍हे पीएम इन वेटिंग से जितना खतरा नही है उससे ज्‍यादा राहुल बाबा से है। चुनाव का समय है सुनाई दे रहा था कि राहुल बाबा को 84 के सिक्ख दंगो का खेद है, मुस्लिम इन्दिरा दादी ने सिक्‍खो पर दंड़ा करने में कसर नही छोड़ी थी अब ईसाई पुत्र राहुल हिन्‍दुओं पर दंड़ा किये पड़े है। चुनाव आ रहा है तो राजनीति खेली ही जायेगी, वो चाहे अच्‍छी हो या गंदी राजनीति तो राजनीति होती है, आज कल केन्‍द्रीय खाजने में कमी की खबर आ रही है, जॉच करने में पता चला कि कुछ मनमोहन साहब मैडम के आदेश पर अमेरिका के गरीब में बॉट आये और जो कुछ बचा वो मुस्लिम अनुदान आयोग में चला गया, मुस्लिम छात्रों को वजीफा।

खैर बहुत बेबात की बात हो गई, पर रामदौस वाली बात शतप्रतिशत सही है, तभी वे समलैंगिक (gay) सम्बनधों के पीछे पड़ा है, पहले से ही यह आदमी बद्दिमाग लग रहा था किन्‍तु आज कल चुनाव में हार के डर पता नही क्‍या क्‍या कर रहे है। कुछ लोगो का कहना है कि इसमें गलत क्‍या है तो मेरा कहना है कि हर प्रश्न का उत्‍तर नही होता है। अब भाई आका वही है तो जो करे सर आखो में, अब वो मर्द को दर्द देना चाहते है तो हम क्‍या कर सकते है, हमारी Constituency से भी नही है कि हम उन्हे उनके कृत्‍य से रोकने के लिये वोट न देने की घमकी दे सकते है। अगर वे हमारी Constituency से होते भी तो कोई फर्क नही पड़ता, वे इतना सब पड़ने के बाद स्‍यवं जान जाते कि बंदा हमको तो वोट नही ही देगा।

खैर शेष फिर .................

हिन्दु आतंकवादी: नेता, चर्च और मिडीया का घालमेल

हिन्दु आतंकवादी के नाम पर आज हिन्दुस्तान जिस तरह हिन्दु और हिन्दु संत को बदनाम किया जा रहा है इसके पिछे चर्च का खतरनाक साजिश पर ध्यान जाता हैं। इसमें नेता, चर्च और मिडीया का घालमेल अब खुलकर नजर आने लगा है। हमें अब समझ जाना चाहिये कि चर्च किस तरह से हिन्दु को बदनाम करने का साजिश रच रहा है इसमें चर्च के पैसा से चल रहे न्यूज चैनल का भी पुरा सहयोग मिला है। हाल के कुछ दिनें के घटना पर अगर ध्यान दे तो ये खतरनाक साजिश समझ में आता है। सबसे पहले संत श्री आशाराम बापू के उपर लगाऎ गये आरोप पर ध्यान देना चाहिये।

संत श्री आशाराम बापू के स्कूल में पढ़ रहें स्कूल में दो छात्र स्कूल से भाग कर घुमने निकलते हैं और उनके साथ हादसा हो जाता है इस बात को मिडीया ने जिस जोर शोर से उठाया जैसे छात्र का हत्या खुद संत श्री आशाराम बापू ने किया है। मिडीया के द्वारा संत श्री आशाराम बापू के बारे में नित्य झुठा प्रचार किया जाने लगा। उनके बेटा के बारे में भी आग उगला जाने लगा। इस कांड का जाँच खुद C.B.I. ने किया लेकिन जल्द दुध का दुध और पानी का पानी निकल कर आ गया और संत श्री आशाराम बापू जी फिर से सस्मान अपने धार्मिक कार्य के द्वारा समाज सेवा का कार्य सुरु किया। और किसी मिडीया चैनल वालों ने आशाराम बापू के बारें किये गये झूठी, मंगढ़त कुप्रचारा और जनता को गुमराह करने की गलती के बारें में माफी भी नही माँगा। हम सभी को पता हिन्दुस्तान में जितने भी संत और साधु है उनमें से लगभग सभी का अपना अनाथालय और स्कूल चलता है तथा विभीन्न तरह से ये समाज सेवा के द्वारा गरीब एंवम उपेक्षीत जनता के सेवा करते हैं। ये बाते चर्च को खटकता है क्यों कि साधु सन्यासीयों के द्वारा चलाये जा रहे स्कूल, अनाथालय सेवा कार्य चर्च के धर्मान्तंरण कार्य में हमेशा से बाधा बनतें हैं वैसे संत श्री आशाराम बापू के शिष्य द्वारा झारखण्ड में चर्च धर्मान्तरण का जोरदार विरोध किया गया था। जो संत श्री आशाराम बापू को चर्च का दुश्मन बना दिया जिसका नतीजा सभी के सामने है उन्के अपने देश हिन्दुस्तान में ही जलिल किया गया। चर्च के द्वारा चलाये जा रहे स्कूल भी धार्मान्तरण का एक माध्यम है। जितनें भी चर्च के स्कूल हैं वहाँ खुले आम हिन्दु देवी - देवता का मजाक उडा़या जाता है और क्रिश्चीचीनि धर्म मनने को कहा जाता है। चर्च के द्वारा चलाये जा रहे अनाथालय का भी यही हाल है वहा जो भी अनाथ बच्चा जाता है उसके गले सबसे पहले क्रास लटकाया जाता है उसके बाद मिशनरी बाले अनाथालय के अन्दर लेकर जाते है। चर्च सिर्फ मिडीया के द्वारा ही साधु - संतो पर आक्रमण नही करवा रहा है चर्च के कार्य में जो भी रोडा अटकाता है ये उनका हत्या करने भी गुरेज नही करतें हैं इस काम में वामपंथी भी उनका साथ देते हैं केरल और कंधमाल में संत लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या जिस तरह से हुइ सभी को पता है।

हाल के घटना पर अगर नजर डाले तो कुछ बातें खुल कर सामने आ जायेगा कि किस तरह चर्च के पैसा से चलने बाला मिडीया चैनल इस देश के गरिमा को नुकसान पहुचा रहा है। मालेगांव धमाका में जिस तरह से एक के बाद एक साधु संतो के उपर में आरोप लगाया जा रहा है हम देख रहें है। हमें इस मामले में थोडा और गहराई से सोचना होगा आखिर मिडीया वाले के द्वारा किस तरह से गंदा खेल खेला जा रहा हैं। मालेगांव के पहले और बाद में भी हिन्दुस्तान में आतंकवादीयों के द्वारा कई धमाके किये गयें लेकिन इसके बारे में आज तक कभी भी चर्चा नही किया जा रहा है। समाचार चैनल वालों ने ये नही बताया है कि इन धमाकों के कौन कौन से आंतकवादी पकडें गये हैं तथा इनका कितना बार नार्को टेस्ट किया गया है और नार्को टेस्ट का क्या नतीजा निकता लेकिन मांलेगाव धमाके में पकडें गये सभी आरोपी को ये मिडीया वालों ने सिर्फ आरोप लगने पर ही जो अभी तक न्यायालय द्वारा सिद्ध भी नही हुआ है साध्वी प्रज्ञा सिंह को नया नाम विषकन्या दे दिया। जिस तरह से मालेगांव के धमाके के आरोपियों के बारें में मिडीया वाले अपने न्यूज में बताते हैं मुझे लगता है इन आरोपियों से पुछ-ताछ किसी ए.टी.स के कार्यालय में नही मिडीया चैनल के स्टुडियों में किया जाता है। नार्को टेस्ट होनें के साथ ही समाचार में ये दिखाया जाने लगता है कि किस आरोपी ने टेस्ट में आज क्या कहा जैसे प्रेस रिपोर्टर कैमरा लेकर नार्को टेस्ट के दैरान मौजुद था।
आखिर मिडीया के द्वारा हिन्दु समाज को बदनाम करने कि साजिश नई नही है। कुछ दिन पहले उडी़सा के बडीपदा नामक जगह पर एक नन का बलात्कार के घटना के बारे में समाचार चैनल बालों लगातार कई दिनों तक हल्ला मचाया लेकिन जब पुलिस के द्वारा जाँच किया गया तो पता चला कि नन का बलात्कार किया नही हुआ था सिर्फ हिन्दु संगठन को बदनाम करने के लिये हिन्दु के उपर आरोप लगाये गये थे। तो पुलिस के इस खुलासे को आज तक किसी भी समाचार चैनल वालों नें नही दिखाया।

आज हिन्दुस्तान में जितने भी समाचार के ज्यादा तर चैनल में क्रिश्चन मिशनरी का पैसा लगा है और वांमपथी सर्मथन के द्वारा इस चैनल को चलाया जा रहा है। ये वांमपथी वही हैं जो हिन्दु साधु - संत को गाली देते नही थकते, हिन्दु को भज-भज मंडली कह कर पिछडें मानसिकता वाला करार देतें है धर्म को अफिम कहतें हैं लेकिन क्रिश्चन धर्म में किसी को अगर को अगर संत सर्टीफिकेट मील जाये तो फुले नही समाते। वामंपथीयों को ये पता नही है कि हिन्दु कि तरह क्रिश्चन भी एक धर्म है और अगर धर्म अफिम है तो हिन्दु धर्म की तरहा क्रिश्चन धर्म भी एक अफिम है। अगर वामंपथीयों को ये सब पता है और जान बुझ कर हिन्दु धर्म को गाली देते हैं तो उन्हे अपना नारा बदल कर नया नारा रखना चाहिये हिन्दु धर्म अफिम है और सब धर्म अच्छा है। क्यों कि हिन्दु धर्म में हिंसा का कोई जगह नही है, हिन्दु स्वाथी नही होतें है सर्वे भन्तु सुखीना सर्वे भन्तु निर्माया के सिद्धान्त पर चलता है।

हमें जागरुक रह कर देखना होगा कि कौन है जो हिन्दु को इस तरह से प्रताडी़त कर रहा है। इसके पीछे किस तरह का मानसिकता काम कर रहा है। अखिर कौन है जो हिन्दु को निचा दिखा रहा है उसके पिछे आखिर क्या स्वार्थ छिपा है।

एक मंत्री की डायरी

कही महीनो से दिन का चैन रातो की नींद उडी हुई है. हर समय दिल मे डर लगा रहता है कि कही कोई किसी से बात करते मिलते ना देख ले . फ़ोन पर तो नंबर डायल करने के ख्याल से ही झुरझुरी आ जाती है. और ऐसे मे अनूप जी चैटियाने आ जाते है काहे नही लिख रहे भाई लिखो . अब उन्हे कौन समझाये कि उनसे बात करने के बाद लिखने के लिये हिम्मत कहा से लाये क्या पता कल कही कोई ए टी एस (एशिया टेरोरिस्ट स्पोर्टिंग स्कवाड) वाला आरोप लगा दे कि मै अनूप जी से बम बनाने का तरीका सीख रहा था तो …कुश को कौन समझाये कि भाई सारी मुलाकाते नारकीय टेस्ट मे भूल जाओगे.

डर के मारे इस बार दिवाली मे बम तो छोडिये सुरसुरी से भी अपन मीलो दूर ही बने रहे, यू तो फ़रीदाबाद मे रहना ही अपने आप मे आतंकवादी घोषित करने के काफ़ी बडा सबूत है.(ए टी एस हर बार किसी ना किसी के संबंध फ़रीदाबाद से ढूढ ही लेती है) उस पर हिंदू होना कोढ मे खाज जैसा .तिस पर आपको किसी मंदिर मे , किसी पुजारी , किसी पुरोहित से बतियाते हुये दिख जाना , और गलती से किसी फ़ौजी से आपकी दो चार साल पहले की भेट , चाहे वो ट्रेन मे हुई हो काफ़ी बडा सबूत है बाकी तो आप नारकीय टेस्ट मे स्वीकार ही लेगे. वो तुरंत आपके ब्रेन को मापकर उसमे वो खाली करदी जायेगी जहा से आप किसी आतंकवादी को आतंकवादी कहने की जुर्रत कर रहे थे.

और इस हाल मे हमे ये एक डायरी हाथ लग गई. कई दिन से सोच रहे थे आपको पढाये या ना पढाये .

आखिर कार हमने फ़ैसला कर ही लिया कि हम

१. हिंदूधर्म छोड देते है. अब हम एक धर्मविहीन अल्पसंख्यक प्राणी है. जो हमे अच्छा पैसा देगा हम उसी धर्म के अल्पसंख्यक कहलाने लगेगे.

२. अब हम कोई देश प्रेम फ़्रेम के चक्कर मे नही है. रहेगे यही ,खायेगे यही, नागरिक कहलायेगे यही के, पर जो देश अच्छा पैसा देगा उसी के लिये काम करेगे

३.कोशिश करेगे की हम नेता बन जाये तब उपर वाली दोनो शर्ते स्वंमेव पूरी हो जाती है

यानी अब जब हम इस देश और धर्म से कुछ लेना देना नही है यानी हम अल्पसंख्यक हो गये है. यानी अब हम मानव हो गये है अब हमे मानवाधिकार और अल्पसंख्यक आयोग का वरद हस्त प्राप्त है.अब हमे किसी से कोई खतरा नही है . अब हम आपको ये डायरी क्या बम बनाना भी पढवा सकते है. तो लीजीये पेश है डायरी के कुछ चुनिंदा अंश

“पता नही ये सब क्या चल रहा है जो मै चाहता हू उसमे हमेशा कुछ ना कुछ गडबड हो ही जाता है , अच्छा खासा सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था . महीनो बाद मेरे नये सिले सूट भी जनता को दिखाने का मौका भी खूब मिल रहा था. रोज कही ना कही बम विस्फ़ोट हो रहे थे. जितने नागरिक मर रहे थे उससे ज्यादा बंगलादेश से रोज आ ही जाते है अत: अपने पाले के वोटरो की गिनती मे भी लगातार बढ रही थी.

लेकिन अचानक शनि महाराज मेरे से रुष्ट हो गये लग रहे है तभी तो कमबख्त मीडिया वाले तो मेरे नये सिले सूटॊ की बखिया उधेडने के पीछे ही पड गये थे वो तो महारानी का वरदहस्त मेरे उपर था वरना ये तो …..ये तो मेरे ही सूटो मे ही मेरी कुर्सी की कब्र खोद देते.

फ़िर जाने कैसे दिल्ली के एक इंस्पेक्टर को जनून सवार हो गया जो बिना मतलब कुछ सीधे साधे लोगो को गिरफ़तार करने जा पहुचा. हालाकी जैसे ही मुझे पता चला मै खुद पुलिस कंट्रोल रूम दौडा पर मेरे रोकते रोकते भी दुर्घटना घट ही गई . उन बेचारे सीधे साधे लागो को अपनी गिरफ़्तारी से बचने के लिये गोली चलाने पर मजबूर होना पडा .देश के दो होनहार बालक और एक नालायक पुलिस वाला मारा गया.कमबख्त को ये भी नही ध्यान रहा हम इन्डियन मुजाहीद्दीन , सिमी और ऐसे ही अफ़जल भाई के सहयोगी लोगो को अनदेखा करने की नीती पर चल रहे है. देश और विदेश मे मेरी काफ़ी भद पिट गई. पहले ही पूरी दुनिया मे मोदी की वजह से हमे नीचा देखना पड रहा था. कितनी बार मना किया कितनी बार मोदी सरकार द्वारा पकडे गये सिमी के लोगो के घर जाकर हमे लाखो रूपये देकर आने पडे, पर इनकी समझ मे बात आने वाली नही है. खैर .. इस दिल्ली के बटाला कांड से तो महारानी भी काफ़ी नाराज हुई चुनाव पास है, और ऐसे मे कुछ सीधे साधे लोगो का पुलिस द्वारा मारा जाना हमे काफ़ी नुकसान पहुचा सकता है . अफ़जल भाइ भी काफ़ी नाराज थे उन्होने तो जूस का ग्लास भी मेरे मुंह पर फ़ेक मारा. गिलानी तो पहले से ही भारत रत्न ना मिलने से नाराज चल रहे है.

इधर राज ने कुछ बवाला कर जरूर मेरा साथ दिया लोगो का ध्यान मुंबई की और खीच लिया . बस अब भगवान से यही प्रार्थना करता हू कि किसी तरह से ये हिंदू आतंकवादियो की और दुनिया का ध्यान आकर्षित कर सकू . पिछले दिनो मैने पुलिस द्वारा गलतफ़हमी मे पकड लिये गये लड्डूवाला, बम वाला और बाटली वाला कॊ छुडवा दिया है. ताकी बटाला हाऊस के घावो पर मरहम लगाया जा सके उम्मीद है चुनाव से पहले हम नागौरी को भी बाईज्जत बरॊ कराकर जो लोग बम धमाको मे मरे अपने रिश्तेदारो के लिये अल्प संख्यको पर उंगली उठा रहे है, को ही बम धमाको के लिये ए टी एस द्वारा जिम्मेदार ठहरा कर नारकीय टेस्ट के भंवर मे फ़सा देंगे. ताकी भविष्य मे कोई कभी भी बम कांडो के खिलाफ़ आवाज ना उठा सके. कोशिश तो यही रहेगी की पाकिस्तान मे हुये बम विस्फ़ोटो के लिये भी हम हिंदू संस्थाओ और सेना को जिम्मेदार बता सके , और हो सके तो कुछ लोगो का नारको टेस्ट कर उन्हे पाक के हवाले करदे .

ये तो अमेरिकी प्रशासन की बेवकूफ़ी से सारी मेहनत मटियामेट हो गई वरना ए टी एस ने तो जाच पडताल कर अमेरिका के ट्विन टावर के गिराये जाने की घट्ना मे जिम्मेदारी सेना और हिंदू आतंकवादियो के कई लोग भी गिरफ़्तार कर लिये थे. उन्होने से नारकीय टेस्ट मे सच भी उगल दिया था कि उन लोगो ने ही सेना के चुराये गये परमाणू बम से ट्विन टावर गिराने की योजना को अंजाम दिया था. हम तो उन्हे सारे आरोपी भी सोपने को तैयार थे . लेकिन वो इस केस मे लादेन जैसे सज्जन को ही फ़साना चाहते है.

अब तो सिर्फ़ ए टी एस एस ( आल टेरोरिस्ट स्पोर्टिंग स्कवाड) पर ही भरोसा है. वही महारानी के इरादो पर खरी उतरती दिखाई दे रही है. सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आने वाले दिनो मे लोग देश भक्ती दिखाना दूर अपने को हिंदू बताना भूल जायेगे . हम तो पहले ही कोर्ट मे हलफ़नामा दे चुके है कि कोई राम ना यहा था, ना है, ना ही हम रहने देगे. चर्च जिंदाबाद इटली जिंदाबाद. धर्म निर्पेक्षता जिंदाबाद.

महारानी चाहती है कि माहौल कुछ ऐसा बने की चुनाव से पहले हम भी घोषणा कर सके कि अब सेना मे केवल मुस्लिम और इसाई समुदाय से ही भर्ती की जायेगी ताकी सेना का वातावरण धर्म निर्पेक्ष बन सके . इसमे भी बंगलादेशी और पाकिस्तानी नागरिको के लिये आरक्षण का प्रविधान रखा जायेगा . इसके लिये लादेन जी और अलजवाहिरी जी से भी राय ली जा रही है.

हम भी चाहते है कि इस बार हम कोई कडा कानून आतंवादी गतिविधियो को रोकने के लिये बनाये जिसमे

१.मरने वालो के उपर ही जिम्मेदारी डाली जाये कि वो वहा गये ही क्यो थे.

२किसी हालत मे अल्प संख्यको को किसी भी प्रकार की असुविधा नही होने दी जाये . यदि कोई भी किसी प्रकार की पूछताछ उनसे की जानी हो तो पहले मानवाधिकार आयोग और अल्प संख्यक आयोग से अनुमति लेकर ही कीजाये.

३.किसी भी बहुसंख्यक को किसी धर्माचार्य , सेना के किसी भी वयक्ती से मिलने पर संदेह मे कभी भी कही भी जांच के लिये गिरफ़्तार करने के लिये खुली छुट दी जायेगी.

४. वैसे तो पिछले साठ सालो मे हम भारत मे जनता का जीना ही नरक मे जीने के समान कर चुके है , लेकिन फ़िर भी साईबेरिया की तरह नारकीय टेस्ट के लिये भारत मे भी एक जगह सुरक्षित की जायेगी और तब जो देशभक्ती दिखायेगा उसे नारको टेस्ट के नाम पर फ़िरदौस लैण्ड भेज दिया जाये.

४. फ़िरदौस लैंड मे सारे टेस्टो की जिम्मेदारी सिमी जैशे मोहम्मद और इन्डियन मुजाहीदीन के हवाले कर दीजायेगी. जहा मानवाधिकार आयोग ये देखेगा कि टेस्ट के लिये आये बहुसंख्यक जैशे मुहम्मद सिमी के अधिकारो का उलंघन ना कर रहे हो.

५.बहुसंख्यक के धर्म परिवर्तन के लिये सरकार अल्पसंख्यको को विषेश अनुदान देगी. सभी बहुसंख्यक धर्मालयो मे आने जाने पर विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाकर जिससे अल्प संख्यको को उनके धर्मालयो मे आने जाने के लिये सहायता प्रदान की जाती है का दायरा बढाकर उनके घरो मे पूजन करने पर भी टैक्स लगाया जायेगा.

६.हमे हर हाल मे धर्म निरपेक्ष दिखना है और उसके लिये हमे सिमी इंडियन मुजाहीदीन जैसी ताकतो की सहायता के लिये विषेश अनुदान तथा देश भक्त ताकतो को जड से उखाड फ़ेकने के लिये हर संभव प्रयत्नो के लिये तैयार रहना होगा.

७. बम फ़ोडने वालो के सरकार विषेश ट्रेनिंग विदेश भेजकर सरकारी खर्चे पर दिलवायेगी .बम विस्फ़ोटो मे किसी भी प्रकार की अडचन डालने वालो पर श्री सच्चर साहब के नेतृत्व मे एक विषेश आयोग बनाकर मुकदमे चलाये जायेगे.

८. कशमीर की तरह हिंदुओ को भगाने के लिये अल्पसंख्यको को विषेश सैन्य बल बनाकर दिया जायेगा और उनके समान परिवार पर भगाने वालो को मालिकाना हक दिया जायेगा.

मै जानता हू इस सब मे वक्त लगेगा लेकिन इंशा अल्ला आने वाले साले मे हम ये कर गुजरेगे, और पूरे भारत मे हिंदू नाम पर कोई बोलने वाला नही होगा. आमीन

18 November 2008

महाशक्ति समूह का एक और सदस्‍य शिखर पर

कुछ माह पूर्व अपने महाशक्ति के कुछ सदस्‍यों के नौकरी पेशा होने जाने की सूचना मैने दिया था। हमारे राजकुमार नेताजी ने अपने अपने काम को ज्‍वाइन कर लिया था। आज पुन: मुझे यह धोषणा करते हुये अत्‍यंत खुशी हो रही है कि हमारे सभी सदस्‍यों में रजस्‍थान निवासी सबसे युवा तरूण जोशी '' नारद '' एक बड़ी व्‍यवसायिक कम्‍पनी में बतौर सीईओ आपरेशन जैसे महत्‍वपूर्ण पद कर नियुक्‍त हुये है।मुझे तरूण जोशी जी का मेल परसो मिला था, तभी से यह सूचना पाकर मै आनंदित था, किन्‍तु कल मेरी माता जी ने मुझे बताया कि किसी तरूण जी का फोन था मैने दोबारा उन्‍हे फोन किया और काफी देर तक लम्‍बी बात हुई और उनकी अन्‍य प्रतिभाओं के बारें में जानने को मिला। अभी हमारे तरूण जी 20 वर्ष और कुछ माह की अवस्‍था के है किन्‍तु उन्‍हे कम्‍प्यूटर के क्षेत्र में काफी महारथ हसिल है।

बातों ही बातों में उन्‍होने कहा कि उन्‍हे 210 स्‍नातक और जी और
पूर्वस्नातक युवक और युवतियों की अपनी कम्‍पनी के लिये आवाश्‍यकता है। जो युवक और युवती सभ्‍य, सुन्‍दर और आकर्षक हो वे अपना जीवन वृत्‍त (Bio data) और फोटोग्राफ (Photograph) के साथ उनसे उनके ईमेल पर सम्‍पर्क कर कर सकते है। प्रमुख विभागों में निम्‍न संख्‍या रिक्‍त है - आपरेशन में 10 पुरूष और 80 महिला, आई टी में 10 पुरूष और 20 महिला, टेली कॉलर में 5 पुरूष और 35 महिला एवं कस्‍टमर केयर में 25 पुरूष और 25 महिला की आवाश्‍यकता है। निश्चित रूप से कई लोग अपने लिये रोजगार के अवसर चुन सकते है।

नोट - बायोडाटा वर्ड 2003 फॉर्मेट में भेंजे, साथ फोटो अलग से सन्‍लग्‍न करें, ईमेल के विषय में महाशक्ति समूह का उल्‍लेख करना न भूलें।

तरूण जोशी
ceo-operations@in.com

15 November 2008

"ईर्ष्योत्पादक

"ईर्ष्योत्पादक"

" तत्व ही आपके समग्र विकास का संकेत है ज्ञान दत्त जी की कलम से प्रसूता यह शब्द ब्लॉग्गिंग बनी बवाल-ए-जान,- पर बतौर टिप्पणी में शामिल है . लो भई....! कैंकढ़ा वृत्ति शब्द के समानार्थी शब्द की तलाश ख़त्म हुई ब्लॉग पर प्रसूता शब्द


माचिस की तीली के ऊपर बिटिया की से पलती आग
यौवन की दहलीज़ को पाके बनती संज्ञा जलती आग .
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एक शहर एक दावानल ने निगला नाते चूर हुए
मिलने वाले दिल बेबस थे अगुओं से मज़बूर हुए
झुलसा नगर खाक हुए दिल रोयाँ रोयाँ छलकी आग !
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युगदृष्टा से पूछ बावरे, पल-परिणाम युगों ने भोगा
महारथी भी बाद युद्ध के शोक हीन कहाँ तक होगा
हाँ अशोक भी शोकमग्न था,बुद्धं शरणम हलकी आग !
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सुनो सियासी हथकंडे सब, जान रहे पहचान रहे
इतना मत करना धरती पे , ज़िंदा न-ईमान रहे !
अपने दिल में बस इस भय की सुनो 'सियासी-पलती आग ?
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तुमने मेरे मन में बस के , जीवन को इक मोड़ दिया.
मेरा नाता चुभन तपन से , अनजाने ही जोड़ दिया
तुलना कुंठा वृत्ति धाय से, इर्षा पलती बनती आग !
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रेत भरी चलनी में उसने,चला सपन का महल बनाने
अंजुरी भर तालाब हाथ ले,कोशिश देखो कँवल उगा लें
दोष ज़हाँ पर डाल रही अंगुली आज उगलती आग !!
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय : छात्रसंघ पर प्रतिबन्‍ध अनुचित

इलाहाबाद विश्वविद्यालय और छात्र राजनीति का बहुत पुराना रिस्ता है, इसी रिस्‍ते को आज इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय प्रशासन के द्वारा छात्र संद्य चुनाव न करवा कर तोड़ जा रहा है। हो सकता हो कि छात्र संद्य के चुनाव न करवाने से इलाहाबाद विश्वविद्यालय को काफी फायदे मिलते है, जैसा कि कुछ छात्र नेताओं के मुँह से मैने सुना है कि छात्रसंद्य के आभाव में जो पैसा छात्रों के कल्‍याण हेतु आता है वह सब केवल विवि प्रशासन जेब तक ही सीमित हो कर रह जाता है । मुझे इस बात में काफी दम भी लगती है क्‍योकि मैने स्‍वय इलाहाबाद विवि के छात्रावास और अध्‍ययन कक्ष देखे है जिनमें व्‍यवस्‍था के नाम पर आपको कुछ नही मिलेगा। आज जब इला‍हाबाद वि‍श्वविद्याल केन्‍द्रीय दर्जा प्राप्‍त कर चुका है और वहॉं व्‍यवस्‍था के नाम पर सिर्फ अव्‍यवस्‍था दिखती है तो निश्‍चित रूप से दाल में कुछ काला है कि बात जरूर सामने आती है।

आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन की अराजकता से ग्रसित है। जब यह विश्वविद्यालय स्‍वनियत्रण में आया है तब से इसके कुलपति अपने आपको विश्वविद्यालय के सर्वेसर्वा मानने लगे है। करोड़ो रूपये की छात्र कल्‍याण हेतु आर्थिक सहायता सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई है। जो काम छात्रों के काम छात्र संघ होने पर तुरंत हो जाता था आज कर्मचारी उसी काम को करने में हफ्तो लगा देते है। जिस छात्र संघ ने कई केन्‍द्रीय मंत्री और राज्‍य सरकार को मंत्री देता आ रहा है उस पर प्रतिबंध लगाना गैरकानूनी है। आज जबकि जेएनयू और डीयू जैसे कई केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों में चुनाव हो रहे है तो इलाहाबाद केन्‍द्रीय विवि में चुनाव न करवाना निश्चित रूप से विश्‍वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपनी खामियों के छिपाने का प्रयास मात्र है।

विश्वविद्यालय राजनीति का अखड़ा नही है किन्तु छात्रसंघ से देश को प्रतिनिधित्‍व का साकार रूप मिलता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिये कि अपनी गलती को मान कर छात्रों के सम्‍मुख मॉफी मॉंग कर जल्‍द ही चुनाव तिथि घोषित करना चाहिये। वरन युवा शक्ति के आगे प्रशासन को झ़कना ही पड़ेगा।

13 November 2008

इसे क्या कहेंगे........

करीब सात आठ महिने पहिले एक नवयुवति ने अपना मुंह ढके हुए मेरे क्लिनिक मैंप्रवेश किया ऱऔर आते ही रोने लगी.साथ मैं उसकी चाची ने उसे ढाढस बंधाया और मुंहउघाङने को कहा......पूरा चेहरा मवाद और रक्त से भरा हुआ था और सूजा हुआ था.उसकीआंखे ठीक से नहीं खुल पा रही थी...बात करने पर पता चला कि ये समस्या पिछले दो सालसे है पर छ महिने पहिले ही एकाएक बढ कर इस रूप मैं हो गईहै....अब उसका विवाह होने वाला था कुछ दिनों मैं इसलिए वो कुछ ज्यादा ही परेशान हो गई......उसके साथ आई महिला जो कि उसकी चाची थी ने बता या कि वह कुछ दिन पहले एक बार आत्महत्या का विफल प्रयास भीकर चुकी है....कुल मिलाकर स्थिति विकट थी...खैरमैने उसे ढाढस बंधाया और हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया. और विश्वास दिलाया कि वह काफी कुछ ठीक होजायेगी...विश्वास होने पर उसका रोना बंद हुआ.......और आगे से ऐसा कुछ नहीं करने की हिदायत दी.......


मैने अपना निदान तब तक सोच लिया था....यह एक्नि वल्गैरिस (मुंहासे) ग्रैड 5 थाऔर तब तक मैं उसे दिया जाने वाला उपचार की रूपरेखा भी मस्तिष्क मैं बना चुकाथा......तब मैंने आइसोट्रिटिनोइन नामक एकऔषधी प्रारंभ करने के वारे मैं विचार किया...पर कुछ कठिनाइयां थी एक तो यह औषधीमंहगी बहुत थी महिने की करीब 1300 -1400 की दवाई और कम से कम चार पांच महिने तकचलने वाली थी और दूसरे दवाई बंद करने के बाद करीब डेढ साल तक वह गर्भ धारण नहीं करसकती थी ...क्यों कि होने वाले बच्चे मैं गंभीरपरिणाम हो सकते हैं.....


जल्द ही दोनों समस्याओं का समाधान हो गया क्यों कि गर्भ धारण करने की बात वो मान गइ और दवाईयां मैंने उसकी आर्थिक स्थिति देखकर उससे वादा किया कि मैं किसी भी तरह जितना हो सकेगा अपने पास् से दूंगा कम से कम एक तिहाई .........


खैर उपचार प्रारंभ हुआ वो हर पंद्रह दिन मैं आती थी दवाई लेने ....प्रारंभ मै औषधियों का असर थोङा कम होता हैं ...इसलिए वो बार बार हिम्मत हार जाती पर मैने उसे मानसिक और दवाइयों से दोनों तरह से पूरा सहयोग दिया और उसकी हिम्मत बनाए रखी .पर एक बात मुझे खटकती ती वो ये कि वो मुफ्त की दवाइयां तो मेरे से लेती थी पर बाकि दवाइयां मेरे क्लिनिक पर स्थित मैडीकल स्टोर की जगह अपने किसी रिश्तेदार की दुकान से लेती थी........वैसे कभी भी मैं इस चीज का ध्यान कभी नहीं रखता कि कौन यहां से दवाइ लेता है कौन नहीं ....पर चूंकि मैं इस रोगी की इतनी सहायता कर रहा था इस लिए शायद मुझे ये अटपटा लगा......


धीरे धीरे वो ठीक होने लगी ...मैं स्वयं परिणाम से संतुष्ट था और वो भी प्रसन्न थी....करीब पांच महिने बाद एक दिन बङे ही प्रसन्न मुख से उसने मेरे क्लिनिक मैं प्रवेश किया और बोली ..सर दो दिन बाद मेरी शादी है .....आज उसका चेहरा दमक रहा था ,चेहरे के निशान काफी कुछ साफ हो चले थे और बहुत सुंदर दिख रही थी आज...........मैं स्वयं विश्वास नहीं कर पा रहा था कि यह वही लङकी है जो उस दिन पहचान मैं नहीं आ रही थी और जिसका रो रोकर बुरा हाल था.मैंने उसे अंतिम पंद्रह दिन की दवाइयां लिखकर महिने दो महिने मैं वापिस दिखाने को कहकर उसे विदा किया...जाते जाते उसने पलटकर धन्यवाद दिया और दरवाजे के बाहर निकल गई.


ठीक दस मिनिट बाद हरीराम जो कि मेरी फार्मेसी संभालता है ,घबराया हुआ अंदर आया ...सर जो लङकी आईसोट्रिटिनइन लेती है वो दवाई दिखाने आई थी क्या...मैने कहा नहीं वो को वैसे भी अपने यहां से दवाई नहीं लेती है....क्या हुआ......दिखाने के बाद दवाई लेकर तो नहीं आई.....


साब उसने कभी यहां से दवाई नहीं खरीदी.....आज पंद्रह दिन की जगह उसने दो महिने की दवाई ली और आपको दिखाने का नाम लेकर अंदर आई थी....पर वापिस नहीं दिखी........


जिस लङकी को पिछले छै महीने से कि उसके अंधकार मय जीवन मैं एक तरह उजाला हो इसलिए पूरा मन लगाकर मेरे से जितनी संभव है उतनी सहायता की .....वो पूरे ढाई हजार की दवाईयां लेकर गायव हो चुकी थी

10 November 2008

धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन पर रोक नहीं

हाईकोर्ट ने कहा है कि वर्षो पुरानी धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। कोई व्यक्ति मुकदमों के जरिए इस तरह के मामले में रोक लगाने की मांग नहीं कर सकता है। यह कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है कि वह इस पर सुनवाई करे। इसके लिए कानून भी बने हुए हैं।


हाईकोर्ट की जस्टिस एसएन ढींगरा की पीठ ने स्वामी दयानंद द्वारा लिखी गई पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है। पीठ ने निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर भी रोक लगा दी है। पीठ ने कहा कि अगर पुरानी किताबों के प्रकाशन पर रोक लगा दी जाए, तो भविष्य में लोग बाइबिल, कुरान, गीता आदि पुस्तकों के प्रकाशन पर रोक लगाने की भी मांग कर सकते हैं। पेश मामले में मुस्लिम समुदाय के दो लोगों ने सिविल कोर्ट में अर्जी दायर कर 135 साल पुरानी धार्मिक पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में चल रही है। इसके खिलाफ प्रकाशक सार्वदेशिक प्रेस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पूछा था कि क्या दीवानी वाद के जरिए कोई व्यक्ति वर्षो पुरानी धार्मिक पुस्तक पर रोक लगाने की मांग कर सकता है।

05 November 2008

सभी को बधाई


आज महाशक्ति अपने स्‍थापना के 10 साल पूरा कर लिया है, 5 नवम्बर 1999 को गठित हुई जब हम हाई स्‍कूल स्तर के छात्र थे तब हमने इसे बनाया था जो आज तक चल रही है। सभी महाशक्ति सदस्यों को स्थापना दिवस की बधाई। चूकिं विभिन्‍न परिस्थितियों के कारण कोई कार्यक्रम आयोजित नही किया जा रहा है, इस माह में अब जब भी कोई अवकाश होगा, कार्यक्रम मे आप सभी हार्दिक आमन्त्रित है


03 November 2008

गुरु जी सच में विषय ख़त्म हो गए ...?

"कसैला मुंह "- लेकर कहाँ जाएँ भाई पंचम जी ? निपट विष पचाऊ लग रहे हैं । असल में डर ये है कि " सफ़ेद झक्क घर " के सामने से निकलने वाला कोई विनम्र पुरूष उनके " सफ़ेद झक्क घर "-घर की दीवार पे माडर्न आर्ट न बना दे । मेरी राय में अपनी भी जेईच्च प्राबलम्ब है हम तो इस के शिकार हुए हैं चलो अच्छा हुआ अब इकला चलो का नारा सही लगता है हमको ।"अबोध का बोध पाठ " जैसी सार्थक पोस्ट लिखी जा रहीं हो और ......और लम्हे हँस रहें हैं ')">तो हम भी पीछे क्यों रहें भई !
अनुजा जी आदतन धमाका करतीं आज की पोस्ट के लिए मेरी ओर से लाल-पीला-हरा-भगवा-नीला हर रंग का सलाम !! अनुजा जी इनके बारे में पहले ही बता चुका हूँ कि भाई लोग कहते फ़िर रहे हैं इस कथा में देखिए:-

गुरुदेव ने ऐलान कर दिया-"सुनो....सुनो.....सुनो.....साहित्य लेखन के विषय चुक गए हैं...! "
क्या................विषय चुक गए हैं ?
हाँ, विषय चुक गए हैं !
तो अब हम क्या करें....?
विषय का आयात करो
कहाँ से .... ?
चीन से मास्को से .....?
अरे वही तो चुक गए हैं....!
फ़िर हम क्या करें..........?
लोकल मेन्यूफेक्चरिंग शुरू करो
औरत का जिस्म
हो इस पे लिखो
भगवान,आस्था विश्वास....भाषा रंग ..!
अरे मूर्ख ! इन विषयों पे लिख के क्या दंगे कराएगा .
तो इन विषयों पर कौन लिखेगा ?
लिखेगा वो जिसका प्रकाशन वितरण नेट वर्क तगड़ा हो वही लिखेगा तू तो ऐसा कर गांधी को याद कर , ज़माना बदल गया बदले जमाने में गांधी को सब तेरे मुंह से जानेंगे तो ब्रह्म ज्ञानी कहाएगा !
गुरुदेव ,औरत की देह पर ?
लिख सकता है खूब लिख इतना कि आज तक किसी ने न लिखा हो
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लोग बाग़ चर्चा करेंगे, करने दो हम यही तो चाहतें हैं कि इधर सिर्फ़ चर्चा हो काम करना हमारा काम नहीं है.
" तो गुरुदेव, काम कौन करेगा ?
जिसको काम करके रोटी कमाना हो वो करे हम क्यों हम तो ''राजयोग'' लेकर जन्में है.हथौड़ा,भी सहज और हल्का सा हो गया है . वेद रत्न शुक्ल,, की टिप्पणी अपने आप में एक पूरी पोस्ट बन गई इस ब्लॉग पर
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चलो चलते-चलते एक गीत हो जाए
अदेह के सदेह प्रश्न
कौन गढ़ रहा कहो ?
कौन गढ़ कहो ?
बाग़ में बहार में
सावनी फुहार में
पिरो गया किमाच कौन?
मोगरे हार में ?
और दोष मेरे सर कौन मढ़ गया कहो..?
एक गीत आस का
एक नव प्रयास सा
गीत था अगीत था
या कोई कयास था..!
ताले मन ओ'भाव पे कौन जड़ गया कहो ..?
जो भी सोचा बक दिया
अपना अपना रख लिया
असहमति पे आपने
सदा ही है सबक दिया
पग तले मुझे दबा कौन बढ़ गया कहो ..?
(आभारी हूँ जिनका :अंशुमाली रस्तोगी,मत विमत,पंचम जी और उनका जो सहृदयता से चर्चा का आनंद लेंगे )
और ब्लॉगवाणी के प्रति कृतज्ञ हूँ

एक कविता : मुकुल की


"विषय '',
जो उगलतें हों विष
उन्हें भूल के अमृत बूंदों को
उगलते
कभी नर्म मुलायम बिस्तर से
सहज ही सम्हलते
विषयों पर चर्चा करें
अपने "दिमाग" में
कुछ बूँदें भरें !
विषय जो रंग भाषा की जाति
गढ़तें हैं ........!
वो जो अनलिखा पढ़तें हैं ...
चाहतें हैं उनको हम भूल जाएँ
किंतु क्यों
तुम बेवज़ह मुझे मिलवाते हो इन विषयों से ....
तुम जो बोलते हो इस लिए कि
तुम्हारे पास जीभ-तालू-शब्द-अर्थ-सन्दर्भ हैं
और हाँ तुम अस्तित्व के लिए बोलते हो
इस लिए नहीं कि तुम मेरे शुभ चिन्तक हो ।
मेरा शुभ चिन्तक मुझे
रोज़ रोटी देतें है
चैन की नींद देते हैं

02 November 2008

वह दिन जब हिन्दू नही होगा साम्प्रायिक

आज देश में दहशत का माहौल बनाया जा रहा है, कहीं आंतकवाद के नाम पर तो कहीं महाराष्ट्रवाद के नाम पर। आखिर देश की नब्ज़ को हो क्या गया है। एक तरफ अफजल गुरू के फांसी के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार ने मुँह में लेई भर रखा है तो वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की ज्वलंत राजनीति से वहॉं की प्रदेश सरकार देश का ध्यान हटाने के लिये लगातार साध्वी प्रज्ञा सिंह पर हमले तेज किये जा रही है और इसे हिन्दू आंतकवाद के नाम पर पोषित किया जा रहा है। य‍ह सिर्फ इस लिये किया जा रहा है कि उत्तर भार‍तीयों पर हो रहे हमलो से बड़ी एक न्यूज तैयार हो जो मीडिया के पटल पर लगातार बनी रहे। 

आज भारत ही  नही सम्पूर्ण विश्व इस्लामिक आंतकवाद से जूझ रहा है, विश्व की पॉंचो महाशक्तियॉं भी आज इस्लामिक आंतकवाद से अछूती नही रह गई है। आज रूस तथा चीन के कई प्रांत आज इस्लामिक आलगाववादी आंतकवाद ये जूझ रहे है। इन देशों में आज आंतकवाद  इसलिये सिर नही उठा पा रहे है क्‍योकि इन देशों में  भारत की तरह सत्तासीन आंतकवादियों के  रहनुमा राज नही कर रहे है।

भारत में आज दोहरी नीतियों के हिसाब से काम हो रहा है, मुस्लिमों की बात करना आज इस देश में धर्मर्निपेक्षता है और हिन्दुत्व की बात करना इस देश में सम्प्रादयिकता की श्रेणी में गिना जाता है। आज हिन्दुओं को इस देश में दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया है। इस कारण है कि मुस्लिम वोट मुस्लिम वोट के नाम से जाने जाते है जबकि हिन्दुओं के वोट को ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, लाला और एसटी-एससी के नाम से जाने जाते है। जिन ये वोट हिन्‍दू मतदाओं के नाम पर निकलेगा उस दिन हिन्दुत्व और हिन्दू की बात करना सम्प्रादायिकता श्रेणी से हट कर धर्मनिर्पेक्षता की श्रेणी में आ जायेगा, और इसे लाने वाली भी यही सेक्यूलर पार्टियॉं ही होगी। 

01 November 2008

स्वर्गीय केशव पाठक

सहज स्वर-संगम,ह्रदय के बोल मानो घुल रहे हैं
शब्द, जिनके अर्थ पहली बार जैसे खुल रहे हैं .
दूर रहकर पास का यह जोड़ता है कौन नाता
कौन गाता ? कौन गाता ?
दूर,हाँ,उस पार तम के गा रहा है गीत कोई ,
चेतना,सोई जगाना चाहता है मीत कोई ,
उतर कर अवरोह में विद्रोह सा उर में मचाता !
कौन गाता ? कौन गाता ?
है वही चिर सत्य जिसकी छांह सपनों में समाए
गीत की परिणिति वही,आरोह पर अवरोह आए
राम स्वयं घट घट इसी से ,मैं तुझे युग-युग चलाता ,
कौन गाता ? कौन गाता ?
जानता हूँ तू बढा था ,ज्वार का उदगार छूने
रह गया जीवन कहीं रीता,निमिष कुछ रहे सूने.
भर न क्यों पद-चाप की पद्ध्वनि उन्हें मुखरित बनाता
कौन गाता ? कौन गाता ?
हे चिरंतन,ठहर कुछ क्षण,शिथिल कर ये मर्म-बंधन ,
देख लूँ भर-भर नयन,जन,वन,सुमन,उडु मन किरन,घन,
जानता अभिसार का चिर मिलन-पथ,मुझको बुलाता .
कौन गाता ? कौन गाता ?