22 February 2009

सुभाषित क्रमांक - 1

बाल्‍मीकीय रामायण से-
उत्‍साहो बलवानार्य नास्‍त्‍युसाहात्‍परं बलम् ।
सोत्‍साहस्‍य हि लोकेशु, न किंचिदपि दुर्लभम्।।
अर्थ - उत्‍साह बलवान होता है, उत्‍साह से बढ़कर दूसरा कोई बल नही है, उत्‍साही व्‍यक्ति के लिये संसार में कुछ भी दुर्लभ नही है।

4 comments:

अनुनाद सिंह said...

महान सत्य को समेटे हे यह सुभाषित बहुत अच्छी लगी।
ऐसी ही और सुभाषितें लिखिये।

Udan Tashtari said...

आभार इस सुभाषित के लिए.

Girish Kumar Billore said...

Wah is kram ko zari rakha jae

राज भाटिय़ा said...

सत्य वचन बाबा जी