14 February 2009

हम प्रेम को यौन-संबंधों का प्रतीक क्यों मान रहे हैं ?


"सच कहूं सारा वातावरण विष भरा कर दिया है शायद सियासत की ज़रूरत यही हैव्यक्तिगत स्वतन्त्रता बाधित करने का अधिकार किसी को नहीं है
कोई भी मेरे प्रेम को अतिक्रमित करेगा मै उसे कतई बर्दाश्त न करुँगा क़ानून को मेरी मदद करनी ही होगी ओबामा नें जे हनुमान कहा तो क्या विधर्मी है मेरी नज़र में वो वो सच्चा अध्यात्मिक है जो अन्य धर्म का आदर करना जानता है. मेरी नज़र में कृष्ण के प्रेम-शिक्षा-संदेश और अन्य किसी के संदेश प्रेम की शिक्षा संदेश में कोई फर्क नज़र नहीं आता .
फ़िर प्रतिक्रया व्यक्त कर के हम प्रेम को यौन-संबंधों का प्रतीक क्यों मान रहे हैं ? 'यदि ये ये हो रहा है तो उसका दोषारोपण किसी पर्व को देना गैर-ज़रूरी है'' अब तो इसके अमानवीय संस्करण सामने आ रहें हैं .
मैं यौन-संबंधों के लिए सामाजिक वर्जनाओं को आदर करता हूँ ..... इन मूल्यों की रक्षा का हिमायती भी हूँ .... यौन विकृत युवाओ को समाज के मूल्यों का पालन करना ही होगा . किंतु प्रेम करने से रोका जाना वह भी धर्म की आड़ लेकर हिन्दू होने के नाते ऐसे तालिबानी-उपबंधों/संकल्पों की जितनी निंदा की जाए कम होगी .
विस्तार से यहाँ=>जाने मेरी सोच ।
हिंदू,इस्लाम,ख्रिस्त,सभी का आदर करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं सच्चे प्रेम के लिए । इसके लिए सबसे पहले इस्लामिक आतंकवाद की विश्व से समाप्ति ज़रूरी है.

7 comments:

Pramendra Pratap Singh said...

आपसे सहमत

Rahul kundra said...

आप कहना क्या चाहते है ?

MEDIA GURU said...

VILKUL SAHI.

Arvind Mishra said...

सहमत !

बाल भवन जबलपुर said...

राहुल जी साफ़ साफ़ लिखा है कि विरोध बनाम हगामा करना ग़लत है विरोध कीजिए उन बातौं जो नित्तंत ज़रूरी है जैसे मूल्यों का ह्रास ! धर्म के नाम पे प्रतिक्रियाएँ तालिबानी तरीके से अनूदित न हों
sabhee kaa abhaaree hoon

Anonymous said...

01:मैं यौन-संबंधों के लिए सामाजिक वर्जनाओं को आदर करता हूँ ..... इन मूल्यों की रक्षा का हिमायती भी हूँ .... यौन विकृत युवाओ को समाज के मूल्यों का पालन करना ही होगा .

02:प्रेम करने से रोका जाना वह भी धर्म की आड़ लेकर हिन्दू होने के नाते ऐसे तालिबानी-उपबंधों/संकल्पों की जितनी निंदा की जाए कम होगी .sundar baat yahe sabake zehan me aanee zaroori hai

कडुवासच said...

... अच्छाई-बुराई के आँकलन के बाद विरोध किया जाना उचित है, विरोध का ढर्रा बना लेना !