महाराष्ट्र के नासिक जिलें में मगूर नामक गाँव में दामोदर सावरकर एवं राधा वाई के यहॉं 28 मई 1883 को विनायक का जन्म हुआ।बचपन में माता पिता महाभारत, रामायण, शिवाजी और राणाप्रताप केविषय में बताते रहते थे। उन्होने मित्रमेला नाम की संस्था बचपन में ही बनाई थी और इसके द्वारा क्रान्तिकारी गतिविधियों का प्रचार करते थे। कक्षा 10 उत्तीर्ण करने के पश्चात कविताएँ लिखने लगे। तिलक जी से परिचय होने के पश्चात सन् 1905 में विदेशी वस्त्रो की होली जलाई। बी0ए0 में अध्ययन के पश्चात सशस्त्र क्रान्ति के लिये अभिनव भारत नाम की संस्था बनाई।
6 जून 1906 को कानून की पढ़ाई के लिये लंदन गये , वहाँ इण्डिया सोसाइटी बनाई। मेजिनी का जीवन चरित्र और सिखों का स्फूर्तिदायक इतिहास नामक ग्रंथ लिखा। 1908 में मराठी भाषा में 1857 का स्वातंत्र्य समर लिखा और यह जब्त कर ली गई। इन्ही की प्रेरणासे मदन लाल धींगरा ने कर्जन वायली की हत्या कर दी गई। सन् 1906 में ही राजेश दामोदर सावरकर को लेल भेजा गया और सावरकर बन्धुओं की सारी सम्पत्ति जब्त कर ली गई। कुछ दिनो बाद इग्लैंड से पेरिस गये और वहाँ से पुन: लंदन पहुँचने पर अपनी भाभी मृत्युपत्र नामक मराठी काव्य लिखा।
सावरकर जी को जलयान द्वारा भारत लाये जाते समय फ्रांस के निकट जहाज के आते ही शौचालय से छेकर समुद्र में कूद पड़े परन्तु पुन: पकडे पकड़े गये । बम्बई की विशेष अदालत ने आजन्म कारावास की सजा दी और काले पानी के लिये आंडमान भेज दिया गया। इसी जेल में उनके बड़़े भाई भी बंद थे। जेल में रह कर कमला गोमान्तक और रिहोच्छ्वास काव्य लिखा।
10 वर्ष बाद 1921 में अण्डमान जेल से लाकर रत्नागिरि जेल में उन्हे बंद कर दिया गया। यहाँ हिन्दुत्व, हिन्दूपदपादशाही, उ:श्राप, उत्तरक्रियासठयस्त्र, संयस्त खड्ग आदि ग्रंथ लिखे। हिन्दू महासभा की स्थापना कर शुद्धि का बिगुल फूका और हिन्दी भाषा का प्रचार किया। 10 मई 1934 को यहाँ से वे मुक्त हुये।
महात्मा गांधी की हत्या होने पर उन्हे पुन: बंदी बनाया गया। फरवरी 1949 को ससम्मान मुक्त हुये। 20 फरवरी 1966 को वह देशभक्त बीर संसार से विदा हो गया।
28 May 2009
27 May 2009
पर्यावरण की सुरक्षा करना आपका और हम सबका नैतिक दायित्व है
ॐ श्री गणेशाय नमः
प्रिय मित्रो/बहिनों और भाइओ
आगे समाचार यह है कि यहाँ सब शेष कुशल है और इश्वर से प्राथना करत है कि आप सभी कुशल मंगल होंगे. मोडा-मोढी अच्छे से गरमी की छुट्टी मनात होंगे या घरवाली के साथ तुम्हारी ससुराल गयेन हुइए और मौजा मौजा करत हुइए. भैय्या इ साल तो गरमी गजब को रंग दिखात है. आसमान तो दहाड़ने लगे है और शहर के उपर बादलो की जमात भी दिखाई दें लगी है और लगत है कै अबकी अगले हफ्ते तक पानी आ जाहे.
हाँ बरसात आ रही है सो मोरे दिमाग में जा बात आई कि लगे हाथो बरसात में अपन भी पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प ले. जगह इसकी अलग जगावे कै अबकी बरस से हम पौधे खूब लगावे और इसकी देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ले नाइ तो शुद्ध हवा जब अपनी अलगी पीढी को न मिलहे तो वे सबई अपनी पीढी को गली बकहे जा अच्छी तरह से अबे से समझ लो का समझे ? हाँ बड्डे जा मेरो सन्देश अपनी पंचायत में भी कहके सुना दई . उखो मजनून नीचे लिख रहो हूँ...
मित्रो स्वागत समारोहो मे पुष्पो का जमकर उपयोग किया जाता है. हँसते फूलो को हम साथी पौधो से अलग कर हम पर्यावरण को नुक़सान तो पहुंचाते है और प्राकृतिक सौंदर्य को क्षति पहुंचाते है फिर स्वागत समारोह के बाद इन फूलो को बेदर्दी से कूड़ेदान मे हम सबई फेक देत है. जैसा कि आपको मालूम है ग्लोबल वार्मिंग के कारण मानव जीवन ख़तरे मे है अब पर्यावरण को सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी आपकी और हम सबकी है.
मित्रो मेरा एक सुझाव है कि जब भी कोई स्वागत समारोह हो या कोई अतिथि का सम्मान करना हो तो आप पुष्प मालाओ, पुष्प गुच्च की जगह अतिथि को एक पौधा भेट करे और हाथ जोड़कर निवेदन करे कि आप इस पौधे की सुरक्षा और सरक्षण करे यह आपकी नैतिक ज़िम्मेदारी है और पर्यावरण की सुरक्षा हेतु यह कार्य नितांत मानव के कल्याण के लिए आवश्यक है. भविष्य मे जब अतिथि को भेट किया गया पौधा बढ़ता आप देखेगे तो आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा. कृपया संकल्प ले कि हम मुस्कुराते फूलो को न तोडेंगे और कभी प्रकृति के सौंदर्य से खिलवाड़ नही करेगे और इस तरह से आप स्वागत समारोहो मे फूल मालाओ की जगह अतिथि को एक पौधा प्रदान करेगे और अतिथि को पर्यावरण की सुरक्षा करने का संदेश भी देंगे. हाँ अपने जन्मदिन के अवसर पर भी पौधा जरुर लगाए और जन्मदिन को यादगार बनाए.
मोरी फोटो जन्मदिन पे पौधारोपण करत भये.
अखीर में भैय्या जा चिठ्ठी हर बरसात आवे के पहले मै अपनो खो लिख देत हूँ . जा मेरी चिठ्ठी तुमखो पुन्य के कारज से लिख रहा हूँ. चलो अब चिठ्ठी बंद करत हूँ काय से आज से हमें भी अपनी बगिया सजाना संभारना है. खर पतवार भी साफ करने है.
पर्यावरण की सुरक्षा करना आपका और हम सबका नैतिक दायित्व है.
जय राम जी की
प्रिय मित्रो/बहिनों और भाइओ
आगे समाचार यह है कि यहाँ सब शेष कुशल है और इश्वर से प्राथना करत है कि आप सभी कुशल मंगल होंगे. मोडा-मोढी अच्छे से गरमी की छुट्टी मनात होंगे या घरवाली के साथ तुम्हारी ससुराल गयेन हुइए और मौजा मौजा करत हुइए. भैय्या इ साल तो गरमी गजब को रंग दिखात है. आसमान तो दहाड़ने लगे है और शहर के उपर बादलो की जमात भी दिखाई दें लगी है और लगत है कै अबकी अगले हफ्ते तक पानी आ जाहे.
हाँ बरसात आ रही है सो मोरे दिमाग में जा बात आई कि लगे हाथो बरसात में अपन भी पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प ले. जगह इसकी अलग जगावे कै अबकी बरस से हम पौधे खूब लगावे और इसकी देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ले नाइ तो शुद्ध हवा जब अपनी अलगी पीढी को न मिलहे तो वे सबई अपनी पीढी को गली बकहे जा अच्छी तरह से अबे से समझ लो का समझे ? हाँ बड्डे जा मेरो सन्देश अपनी पंचायत में भी कहके सुना दई . उखो मजनून नीचे लिख रहो हूँ...
मित्रो स्वागत समारोहो मे पुष्पो का जमकर उपयोग किया जाता है. हँसते फूलो को हम साथी पौधो से अलग कर हम पर्यावरण को नुक़सान तो पहुंचाते है और प्राकृतिक सौंदर्य को क्षति पहुंचाते है फिर स्वागत समारोह के बाद इन फूलो को बेदर्दी से कूड़ेदान मे हम सबई फेक देत है. जैसा कि आपको मालूम है ग्लोबल वार्मिंग के कारण मानव जीवन ख़तरे मे है अब पर्यावरण को सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी आपकी और हम सबकी है.
मित्रो मेरा एक सुझाव है कि जब भी कोई स्वागत समारोह हो या कोई अतिथि का सम्मान करना हो तो आप पुष्प मालाओ, पुष्प गुच्च की जगह अतिथि को एक पौधा भेट करे और हाथ जोड़कर निवेदन करे कि आप इस पौधे की सुरक्षा और सरक्षण करे यह आपकी नैतिक ज़िम्मेदारी है और पर्यावरण की सुरक्षा हेतु यह कार्य नितांत मानव के कल्याण के लिए आवश्यक है. भविष्य मे जब अतिथि को भेट किया गया पौधा बढ़ता आप देखेगे तो आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा. कृपया संकल्प ले कि हम मुस्कुराते फूलो को न तोडेंगे और कभी प्रकृति के सौंदर्य से खिलवाड़ नही करेगे और इस तरह से आप स्वागत समारोहो मे फूल मालाओ की जगह अतिथि को एक पौधा प्रदान करेगे और अतिथि को पर्यावरण की सुरक्षा करने का संदेश भी देंगे. हाँ अपने जन्मदिन के अवसर पर भी पौधा जरुर लगाए और जन्मदिन को यादगार बनाए.
मोरी फोटो जन्मदिन पे पौधारोपण करत भये.
अखीर में भैय्या जा चिठ्ठी हर बरसात आवे के पहले मै अपनो खो लिख देत हूँ . जा मेरी चिठ्ठी तुमखो पुन्य के कारज से लिख रहा हूँ. चलो अब चिठ्ठी बंद करत हूँ काय से आज से हमें भी अपनी बगिया सजाना संभारना है. खर पतवार भी साफ करने है.
पर्यावरण की सुरक्षा करना आपका और हम सबका नैतिक दायित्व है.
जय राम जी की
24 May 2009
सेनानी और अंदर के देश द्रोही
भारत माता के वीर सपूत,
रक्षा करने को सीमाओं की,
देते हो अपने प्राणो की आहूति।
आहूति जब व्यर्थ चली जाती है,
बलिदान को पैसो से तौला जाता है,
जब मुख्यमंत्री पिता को गाली दे जाता है।
ऐसे देश-द्रोहियों को अंत आयेगा,
जब जनता वोट की चोट से,
इनकी हैसियत की बतलायेगा।।
रक्षा करने को सीमाओं की,
देते हो अपने प्राणो की आहूति।
आहूति जब व्यर्थ चली जाती है,
बलिदान को पैसो से तौला जाता है,
जब मुख्यमंत्री पिता को गाली दे जाता है।
ऐसे देश-द्रोहियों को अंत आयेगा,
जब जनता वोट की चोट से,
इनकी हैसियत की बतलायेगा।।
आप को केवल चटका लगना हैं और बस
एक दिन एक मित्र ने कहा "भाई,पवन जी तो हमेशा अपना ही रोना रोते हैं "
हम- भाई साहब ,कुछ लोगों की आदत होती है।
मित्र-इससे सभी सहकर्मियों का उत्साह कम होता है।
हम सभी के बीच ऐसे लोगों की भरमार होती है जो दूसरों से तो अच्छे और सफल काम की अपेक्षा करतें हैं किंतु ख़ुद कुछ करने से बुन्देली बोली में कहूं "जींगर-चोट्टाई" करतें हैं ।
मेरे मित्र दूसरे मित्र का परम प्रिय वाक्य है "कुछ अज़गर से सीखो अफसरी दिन रात काम करके करोगे तो कोई स्पेशल गिफ्ट दे देगी ये सरकार ?....अरे अजगर कोई काम करता है कभी अरे सब अल्लाह-भगवान-प्रभू पर छोड़ दो अज़गर जैसे । "
अब इस देश को अज़गर नुमां अफसरों की ज़रूरत नहीं है । जो अज़गर नुमां अफसर हैं भी उनको जनता एक पल भी बर्दाश्त नहीं करेगी। मित्रों ये तो एक विचार था सो लिख दिया अब आप कुछ नया काम अंतर्जाल पे करना चाहें तो-> यहाँ <- क्लिक कीजिए कुछ नया ज़रूर कर पाएंगें ये तय है ।
हम- भाई साहब ,कुछ लोगों की आदत होती है।
मित्र-इससे सभी सहकर्मियों का उत्साह कम होता है।
हम सभी के बीच ऐसे लोगों की भरमार होती है जो दूसरों से तो अच्छे और सफल काम की अपेक्षा करतें हैं किंतु ख़ुद कुछ करने से बुन्देली बोली में कहूं "जींगर-चोट्टाई" करतें हैं ।
मेरे मित्र दूसरे मित्र का परम प्रिय वाक्य है "कुछ अज़गर से सीखो अफसरी दिन रात काम करके करोगे तो कोई स्पेशल गिफ्ट दे देगी ये सरकार ?....अरे अजगर कोई काम करता है कभी अरे सब अल्लाह-भगवान-प्रभू पर छोड़ दो अज़गर जैसे । "
अब इस देश को अज़गर नुमां अफसरों की ज़रूरत नहीं है । जो अज़गर नुमां अफसर हैं भी उनको जनता एक पल भी बर्दाश्त नहीं करेगी। मित्रों ये तो एक विचार था सो लिख दिया अब आप कुछ नया काम अंतर्जाल पे करना चाहें तो-> यहाँ <- क्लिक कीजिए कुछ नया ज़रूर कर पाएंगें ये तय है ।
23 May 2009
19 May 2009
जन सामान्य की राय में भाजपा के हार के कारण
भाजपा के हारने से बहुत दुःख हुआ.. तुम कुछ भी सोचो पर मेरे ख्याल से आन्तारिक कलह उस हद तक नहीं था की ...यह जनता के सामने प्रमुख मुद्दा बन जाए.,,,प्रमुख कारण -- थे कि..सही मुद्दे जनता के सामने ढंग से नही रखे गए..जैसे .....महंगाई, नागरिको कि सुरक्षा, गरीबो अमीरों के बीच कि दूरी, बिजली,स्वच्छा पानी, सड़क, नगर व गावो में बेहतर infrastructure,, इत्यादि..
भाजपा गलत मुद्दे ही उछलती रह गयी...जैसे कमजोर प्रधानमंती (जो ५ साल से प. म. है और शाशन अच्चा चला ले गया..वो कम्जूर कैसे हो सकता है.., और प्रबल हिन्दुवाद,-इस कारन ओर्रिसा में भी नुकसान हुआ..भाजपा ऐसा नही की पूरे देश में ख़राब प्रदर्श की..कुछ अपने शाशित राज्यों में बेहतर शुशाशन के कारण..अच्छी सीते ले आयी..जैसे- बिहार, छत्तीसगढ़, कर्णाटक, हिमांचल प्रदेश, गुजरात, झारखण्ड, मध्य प्रदेश.. और उत्तर प्रदेश में भाजपा की कमजोरी भी प्रमुख कारण रही.यहाँ बहेतर विकल्प न बन पाना, अच्छे नेताऊ की कमी, गलत CANDIDATE सेलेक्शन , सही मुद्दे न उछालना इत्यादि.
भाजपा गलत मुद्दे ही उछलती रह गयी...जैसे कमजोर प्रधानमंती (जो ५ साल से प. म. है और शाशन अच्चा चला ले गया..वो कम्जूर कैसे हो सकता है.., और प्रबल हिन्दुवाद,-इस कारन ओर्रिसा में भी नुकसान हुआ..भाजपा ऐसा नही की पूरे देश में ख़राब प्रदर्श की..कुछ अपने शाशित राज्यों में बेहतर शुशाशन के कारण..अच्छी सीते ले आयी..जैसे- बिहार, छत्तीसगढ़, कर्णाटक, हिमांचल प्रदेश, गुजरात, झारखण्ड, मध्य प्रदेश.. और उत्तर प्रदेश में भाजपा की कमजोरी भी प्रमुख कारण रही.यहाँ बहेतर विकल्प न बन पाना, अच्छे नेताऊ की कमी, गलत CANDIDATE सेलेक्शन , सही मुद्दे न उछालना इत्यादि.
यह विचार भैया चंद्र वैभव सिंह जी के है
डूबेजी
डूबेजी: की नज़र में वाकई वे सभी घटनाएं हैं जो कल घट सकतीं हैं । पेशे से मेडिकल प्रतिनिधि की सोच में कोई ग़लत फहमीं नहीं होती । जबलपुर नई-दुनिया के कार्टूनिष्ट राजेश दुबे अब सिर्फ़ कार्टूनिष्ट हैं मेडिकल-रिप्रैज़ेंटेटिव नहीं । समय और वादे के पक्के दुबे जी सच सहज और सौम्य हैं मसखरे होते हैं उनके कार्टून
11 May 2009
हम हारे हरकारे, सबके सब जीत गए
११ मई २००९ ०७:२३ को, GIRISH BILLORE <girishbillore@gmail.com> ने लिखा:
चिंतन घट रीत गए अपने सब मीत नए
हम हारे हरकारे, सबके सब जीत गए
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षटकोणी वार हुए, हर पल प्रहार हुए
शूल पाँव के रस्ते हियड़े के पार हुए
नयन हुए पथरीले अश्रु एक भी न गिरा
वो समझे वो जीते फिर से हम हार गए
लथपथ थे मृत नहीं ,वापस सब मीत गए
हम हारे हरकारे, सबके सब जीत गए ...!!
****************************************
Girish Billore Mukul
--
गिरीश बिल्लोरे
03 May 2009
महाशक्ति को मदद चाहिये
कुछ दिन पूर्व मैने अपने एकल ब्लाग महाशक्ति (http://pramendra.blogspot.com/) से (http://mahashakti.bharatuday.in/) पर स्थानंतरित किया जिससे मेरे चिट्ठे का मेन पेज तो दिख रहा है किन्तु किन्तु पोस्ट के लिंक (उदाहरण के लिये इस पोस्ट को देखिये- "अदिति ने क्यो मारा ?") पर क्लिक करने पर पूरा पेज खाली हो जा रहा है। जबकि उसी दिन महाशक्ति समूह को भी (http://mahashaktigroup.blogspot.com/) से (http://mahashaktigroup.bharatuday.in/) पर स्थानांतरित किया किन्तु यह बिल्कुल ठीक है। जबकि इसमें कोई समस्या नही है।
मैने ( http://mahashakti.bharatuday.in/ से (http://pramendra.blogspot.com/) पर फिर से ले गया, टेम्पलेट मे परिवर्तन किया किन्तु यह समस्या अभी बरकरार है। आप सभी से निवेदन है कि इस समस्या की निदान आपके पास है तो इसका निराकरण करने का कष्ट करे।
ईमेल - pramendraps @ gmail . com
मैने ( http://mahashakti.bharatuday.in/ से (http://pramendra.blogspot.com/) पर फिर से ले गया, टेम्पलेट मे परिवर्तन किया किन्तु यह समस्या अभी बरकरार है। आप सभी से निवेदन है कि इस समस्या की निदान आपके पास है तो इसका निराकरण करने का कष्ट करे।
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