एक दिन एक मित्र ने कहा "भाई,पवन जी तो हमेशा अपना ही रोना रोते हैं "
हम- भाई साहब ,कुछ लोगों की आदत होती है।
मित्र-इससे सभी सहकर्मियों का उत्साह कम होता है।
हम सभी के बीच ऐसे लोगों की भरमार होती है जो दूसरों से तो अच्छे और सफल काम की अपेक्षा करतें हैं किंतु ख़ुद कुछ करने से बुन्देली बोली में कहूं "जींगर-चोट्टाई" करतें हैं ।
मेरे मित्र दूसरे मित्र का परम प्रिय वाक्य है "कुछ अज़गर से सीखो अफसरी दिन रात काम करके करोगे तो कोई स्पेशल गिफ्ट दे देगी ये सरकार ?....अरे अजगर कोई काम करता है कभी अरे सब अल्लाह-भगवान-प्रभू पर छोड़ दो अज़गर जैसे । "
अब इस देश को अज़गर नुमां अफसरों की ज़रूरत नहीं है । जो अज़गर नुमां अफसर हैं भी उनको जनता एक पल भी बर्दाश्त नहीं करेगी। मित्रों ये तो एक विचार था सो लिख दिया अब आप कुछ नया काम अंतर्जाल पे करना चाहें तो-> यहाँ <- क्लिक कीजिए कुछ नया ज़रूर कर पाएंगें ये तय है ।
3 comments:
"यहाँ" पे क्लिक होता नहीं कुछ तो करें सुधार।
अफसर अजगर सा बने प्रेरक लगा विचार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
यहाँ..लिख भर दिया कि लिंक भी लगाओगे-अजगर की संगत का असर भी भला नहीं दिख्खे है मेरे भाई!!
अफसरी और अज़गरी दौनों भाई सामान
अपने कारज में दीखता वो ही गुण श्रीमान
समीर भाई / सुमन जी का आभार
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