भाजपा गलत मुद्दे ही उछलती रह गयी...जैसे कमजोर प्रधानमंती (जो ५ साल से प. म. है और शाशन अच्चा चला ले गया..वो कम्जूर कैसे हो सकता है.., और प्रबल हिन्दुवाद,-इस कारन ओर्रिसा में भी नुकसान हुआ..भाजपा ऐसा नही की पूरे देश में ख़राब प्रदर्श की..कुछ अपने शाशित राज्यों में बेहतर शुशाशन के कारण..अच्छी सीते ले आयी..जैसे- बिहार, छत्तीसगढ़, कर्णाटक, हिमांचल प्रदेश, गुजरात, झारखण्ड, मध्य प्रदेश.. और उत्तर प्रदेश में भाजपा की कमजोरी भी प्रमुख कारण रही.यहाँ बहेतर विकल्प न बन पाना, अच्छे नेताऊ की कमी, गलत CANDIDATE सेलेक्शन , सही मुद्दे न उछालना इत्यादि.
यह विचार भैया चंद्र वैभव सिंह जी के है
7 comments:
अशुद्ध हम सब लिखते है, अतः क्षमा सहित कहना चाहुँगा, बहुत ज्यादा वर्तनियों की भूलें हैं. कृपया ठीक कर लें. लेख की गम्भीरता कम हो रही है.
हार के हजार कारण होते है. पहले पता नहीं होता क्या चलेगा. मजबूत नेता का नारा नहीं चला. महंगाई को भूना न सके. बूरा हुआ.
जब तक गावं ,गरीब ,किसान की बात नहीं करोगे तब तक कुछ नहीं होगा . मेने लिखा था कांग्रेस के आलावा कोई आज तक महंगाई को कोई मुद्दा नहीं बना पाया .और कोई बना भी नहीं पाता क्योकि भाजपा जैसे पार्टी जनता की आवाज नहीं सुनती
जो बीत गयी .. सो बात गयी .. प्रजातंत्र में विपक्ष को भी मजबूत बने रहना आवश्यक होता है .. ताकि हर समय जनता के समक्ष सत्ताधारी दल से भी अच्छा विकल्प उपस्थित रहे .. अब 5 वर्षों में भाजपा को मजबूत बनकर उभरना होगा ।
@ संजय भैया, चूकि यह लेख नही है बल्कि मुझे भेजा गया संदेश था, जो गैर राजनीतिक व्यक्ति ने भेजा था, हिन्दी लेखन और चिट्ठाकारी से इनका कोई नाता नही है। लिखनें के लिये आरकुट का सहारा लिया, जो थोडा कठिन है लिखने के लिये, मुझे बात सही लगी तो आपके सामने रख दिया।
ये किसी भी सूरत में किसी दल की हार नहीं इसे ३५-४० प्रतिशत वोटर्स की जीत कहिए
रहा निचले स्तर पर राजनीतिज्ञों का व्यवहार उसकी समीक्षा भी करना ज़रूरी है. यदि
आप चाहें तो मुझे अपनी आई डी दीजिये सत्य लौटती डाक से भेज दूंगा
हम तो कांग्रेस की जीत में मगन ऐसा कुछ पढ़ ही नहीं रहे. :)
mera manna hai ki u p me har ka prmukh karan kalyan ka s.p. me jana. aur jahan p m ki rahi bat to advani ji ki byktigat chhvi per bahut kuchh nirbar kiay tha. yeh b j p aur rajneetik vislesak bhi kah rahe hai.
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