"मनुष्य अन्य जीवधारियों से भिन्न हैं । उसकी शारीरिक सरंचना इतनी अद्भुत है कि वह कलाकौशल के क्षेत्र में न जाने क्या-क्या चमत्कार दिखा सकता हैं । उसका बुद्धी संस्थान इतना अद्भुत है कि सुविधा-साधनों की बात ही क्या , वह उसके बलबूते वैग्यानिक के रुप में प्रकृति का रहस्योद्घाटन और प्राणीजगत् का भाग्यनिर्माता होने तक का दावा कर रहा है । शासन और समाज की संरचना उसी की सुझ्बूझ का प्रतिफ़ल है । साहित्य का अक्षय भंडार उसी का सृजा हुआ हैं । उसी ने देवी-देवताओं की सृष्टि की है । कहने को तो यह भी कहा जाता है कि ईश्वर ने भले ही सृष्टि को बनाया हो , पर ईश्वर जिस भी रुप में आज लोकमानस में स्थान पा सका हैं , वह मनुष्य की ही प्रतिष्ठापना है । इस द्रष्टि से तो वह स्रष्टा का भी स्रष्टा हुआ न ? कैसा अद्भुत है यह गले न उतरने वाला सत्य और तथ्य । मनुष्य सचमुच महान है । दार्शनिकों ने उसे भटका हुआ देवता कहा है । शास्त्रकार कहते हैं कि मनुष्य से श्रेष्ठ इस संसार में और कुछ नहीं हैं ।
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yug nirman yojna.
thought revolution movement
5 comments:
bahut khoob
jaari rakhe
कुछ टेम्पलेट में गड़बड़ी है-लेफ्ट पोरशन दिख ही नहीं रहा पोस्ट टेकस्ट का!! अंदाज से पढ़े और टिपिया भी दिये जो हम बिना पढ़े भी करते हैं, ऐसा आरोप है हम पर. :)
bahut achha. temlet ko subyvasthit karen.
धन्यवाद
शानदार
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