23 February 2009

सुभाषित क्रमांक - 2

रामचरित मानस से -
पर हित सरिस धर्म नहीं भाई।
पर पीड़ा नहिं अधमाई।।
अर्थ - भगवान श्री राम अपने भाईयों से कहते है - हे भाई! दूसरों की भलाई करने के समान कोई धर्म नही है। दूसरों को दु:ख पहुँचाने के समान कोई पाप नहीं है।

4 comments:

Mahesh Chander Kaushik said...

अतिः उतम रचना है।साथ ही दिनांक 24.02.2009 मंगलवार की जो अमावस्या है वो भौमवती अमावस्या है तथा चन्द्रमा भी शतभिषा नक्षत्र पर है। अतः इस दिन सम्पतिशाली बनने का देवी उपाय करनें का दिन है विस्तार से मेरे ब्लोग पर पढें यदि अन्य ब्लोगर इस जानकारी को पुनः प्रकाशित करते हैं तो मुझे कोइ एतराज नहीं है।

Vinay said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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चाँद, बादल और शाम

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...

MEDIA GURU said...

ati sundar.............