16 February 2009

प्‍यार का इजहार

दिल के करीब है वो,
नजदीक आते नही।
छुप छुप कर वे,
नखरे दिखाते है वे।।

स्‍कूल की गलियो से,
कालेज के कैम्‍पस तक।
तुम्‍हारे प्‍यार की आस में,
चक्‍कर लगता था।।

ऐसा नही है कि तुम,
हमसे प्‍यार नही करते हो,
लगता है मुझको,
इजहार करने से डरते हो।।

6 comments:

अनिल कान्त said...

ye bhi khoob rahi ijhaare mohabbat ki daastan

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मलमलाते हैं वो, इजहार नही करते हैं,
सिर हिलाते है,वो इसरार नही करते हैं।
नैन मटकाते हैं पर बोलते नही कुछ भी-
प्यार करते हैं वो, इकरार नही करते हैं।

Yogesh Verma Swapn said...

sunder hai

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर, अब क्या कहे भाई, वो शायद डरते है,
धन्यवाद

Girish Kumar Billore said...

कई बार ये भी होता है
हम इज़हार -ए-तमन्ना नहीं करते
इज़हार -ए-तमन्ना का इक अंदाज़ ये भी है....!!

MEDIA GURU said...

kya bat hai bahut sundar.