24 May 2009

सेनानी और अंदर के देश द्रोही

भारत माता के वीर सपूत,
रक्षा करने को सीमाओं की,
देते हो अपने प्राणो की आहूति।

आहूति जब व्‍यर्थ चली जाती है,
बलिदान को पैसो से तौला जाता है,
जब मुख्‍यमंत्री पिता को गाली दे जाता है।

ऐसे देश-द्रोहियों को अंत आयेगा,
जब जनता वोट की चोट से,
इनकी हैसियत की बतलायेगा।।

1 comment:

Girish Kumar Billore said...

par janata der se jagatee hai