भारत आतंकवाद की विभिषिका को आज से नही झेल रहा है किन्तु आज तक हमारी सरकारें इस समाज नाशक विष को समाप्त नही कर पाये है। मुम्बई में हुये आतंकी हमले में कई भारतीय सैनिक और नागरिक शहीद हुये। इन प्राणों की छति को हमारी सरकार सिर्फ मुवावजों से तोलना जानती है, सिर्फ मुवावजे से किसी प्राणों की कीमत चुकाई जा सकती है, सरकार की सोच तो यही लगती है। हर बार आतंकवाद के युद्ध में जनता ही पीसी जाती है। मंत्रियों और मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद क्या अब भारत पर हमले नही होगे ?
भारत की अस्मिता को आज विश्व पटल पर ललकारा जा रहा है किन्तु भारतीय सरकार मूक प्रदर्शन कर रही है। जबकि नरिमन हाउस पर हुये हमले को इजराईल अपने स्वयं पर हुआ हमला मान रहा है और नरीमन हाउस में मारे गये लोगो को इजराईल में मारे गये लोगो के भातिं मुवावजा और आतंकियो से बदला लेने की बात कहीं किन्तु भारत सरकार तो जैसे भाँग पी कर बैठी है। उसे अपने नागरिको की कोई चिन्ता ही नही है। आतंक से लड़ने के जज्बे की जरूरत है तो भारतीय जवानों मे तो है किन्तु भारत सरकार में नही। आतंक की जड़ मुख्य रूप से जिम्मेदार पडौसी देश पाकिस्तान है हर दिन हजारों की संख्या में घुसपैठियें आ रहे है किन्तु हमारी सरकार इन्हे अपना वोट बैंक मान रही है। आज यही वोट बैक मुम्बई जैसे हालात हमारे सामने ला रहे है।
1 comment:
यही नेताओं का शुद्ध स्वार्थ और वोट की गंदी राजनीति देश को रसातल में पहुँचा रही है . क्या होगा, पता नहीं .
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