तुम अनचेते चेतोगे कब
समझ स्वयं की देखोगे कब
जागो उठो सवेरा समझो
समझ स्वयं की देखोगे कब
जागो उठो सवेरा समझो
देखो एक सलोनी छाजन बुनालो
बेल अंकुरित सेम की देखो
खोज रही हैं सहज सहारा .!
आज सोच लो सोचोगे कब
सुनो आज बस सुर इक गाना
वंदे मातरम गीत सुहाना
भारत में भारत ही होगा
मत विचार क़र्ज़ के लाओ
बेल अंकुरित सेम की देखो
खोज रही हैं सहज सहारा .!
आज सोच लो सोचोगे कब
सुनो आज बस सुर इक गाना
वंदे मातरम गीत सुहाना
भारत में भारत ही होगा
मत विचार क़र्ज़ के लाओ
3 comments:
सुन्दर रचना है\बधाई।
shukriyaa ji
प्रेरणादायी कविता, कविता में बहुत कुछ बिना कहे कह दिया गया है। आज भारतीयों की एकता बहुत जरूरी हे।
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