09 December 2008

विजेता के लिए

तुम
जो चुने गए हो
गिने चुने लोगों में
नंबर एक पर
माँ अधिकारों नहीं कर्तव्यों की
पोटली दी है हाथों में
माँ जो इतिहास लिखोगे
माँ को यकीन है
पैयां पैंयाँ चलता हमारा यकीन तुम्हारे पीछे पीछे
सच
माँ ही एक मात्र वज़ह हो
कि विजेता हो !
पहली बार विश्वाश जागा है
जो कच्चे सूट का धागा है
हमको यकीन है माँ की दी हुई पोटली पर
जो तुमनें साथ रखी

1 comment:

Pramendra Pratap Singh said...

ओजस्‍वी कविता,पढ़ने में आनंद आया और काफी कुछ सीखने को मिला।